Saturday, December 26, 2015

बुश का बघदाद (२)

बुश का बघदाद

अमरिका पर बिन लादेन ने बाद में हमला किया। उससे पहले हमला बोला बुश ने। Record Surplus को Record Deficit बना दिया। इतना बड़ा टैक्स कट किया कि देश सीधे मुह के बल जा के गिर पड़ी।

जनता मुर्ख। उसने वैसा ही मैंडेट माँगा था। जनता ने दे दिया। अमेरिका के गरीब जनता को social issues पर इस तरह डिवाइड कर दिए हैं ये नियमित अपने अहित में वोट देते रहते हैं।

९/११ हुवा। तो अफ़ग़ानिस्तान पर वार करो। कि पर्ल हार्बर पर अटैक किया जापान ने और तुम ने अटैक कर दिया इंडोनेशिया? Looking Tokyo Going London? अभी भी ४०% अमेरिकी कहते हैं ९/११ किया सद्दाम ने। ४०% वो वही हैं जो नक़्शे पर प्रशांत महासागर नहीं ढूँढ सकते। २०-३०% अमरीकी कहते हैं ओबामा मुसलमान है।

कितने लोग मरे वो भी हिसाब करो लेकिन ओ अलग करो। इस ब्लॉग पोस्ट में सिर्फ पैसा की बात करते हैं। एक से १० लाख के बीच लोग मरे सब मिला के। युद्ध के कारण जो सिविल वॉर हो गया उसके मृतक भी तो गिनोगे। जितने अमरिकी ९/११ में मरे उससे जयादा इराक में।

युद्ध का बिल बुश का तीन ट्रिलियन डॉलर। वो इतना ज्यादा पैसा है लोग सोंचना ही छोड़ देते हैं। कहीं १०० डॉलर पॉकेटमारी होती है तो पुलिस बुलाओ। एक लाख डॉलर का फ्रॉड होता है तो पुलिस बुलाओ केस करो। मिलियन डॉलर करप्शन को लफड़ा हो जाता है। लेकिन तीन ट्रिलियन। उसको तो छोड़ दो।

ट्रिलियन से नीचे का तो गप्प ही नहीं है बुश काल में। पहले तो एक ट्रिलियन सबसे धनाढ्य लोगो को बाँट दिया। बाँट ही दिया। लो, मुफ्त का पैसा। मेरे बाप की कमाई। तीन ट्रिलियन युद्ध में खर्च। MasterCard swipe करो। खर्चा कौन भरेगा? चीन किस कामके? वॉल स्ट्रीट पर ट्रिलियन डॉलर का फ्रॉड। तो अर्थतंत्र जब तास के घर के माफिक गिरा ........ बिन लादेन ने तो सिर्फ वर्ल्ड ट्रेड सेंटर गिराया। बुश ने पुरे अर्थतंत्र को ही गिरा दिया। अर्थतंत्र कोलॅप्स हुवा तो १३ ट्रिलियन डॉलर ऐसे गायब हुवा जैसे पीसी सरकार ने आ के गायब कर दिया हो। सफाचट। Wiped out, gone forever.

यार, किसी की भी ब्रेकिंग पॉइंट होती है। अमेरिकी अर्थतंत्र का भी था, वैज्ञानिक बुश ने पता लगा के छोड़ा।

अमेरिकी सरकार का एक साल का बजेट होता है तीन ट्रिलियन। यानि कि बहुत बड़ा अमाउंट है जिसकी मैं बात कर रहा।
अभी कहानी ख़त्म नहीं हुवी। तो स्टिमुलस कह के ७०० बिलियन खर्चे करने पड़े। करना चाहिए तीन ट्रिलियन लेकिन बुश के पार्टी ने होने नहीं दिया। तो देशको monetary स्टिमुलस के रास्ते जाने पड़े। उसका मतलब प्रिंटिंग प्रेस चालु करो और पैसा छापो। Basically पैसा छापो और बड़े बड़े बैंक को मुफ्त में दे दो। जीरो इंटरेस्ट रेट पर। सब तरफ बुश के दोस्त ही दोस्त।

Quantitative Easing
Quantitative easing is distinguished from standard central banking monetary policies, which are usually enacted by buying or selling government bonds on the open market to reach a desired target for the interbank interest rate. However, if a recession or depression continues even when a central bank has lowered interest rates to nearly zero, the central bank can no longer lower interest rates. The central bank may then implement a set of tactics known as quantitative easing. This policy is often considered a last resort to stimulate the economy. ...... A central bank enacts quantitative easing by purchasing—without reference to the interest rate—a set quantity of bonds or other financial assets on financial markets from private financial institutions...... Quantitative easing, and monetary policy in general, can only be carried out if the central bank controls the currency used in the country. The central banks of countries in the Eurozone, for example, cannot unilaterally expand their money supply and thus cannot employ quantitative easing. They must instead rely on the European Central Bank (ECB) to enact monetary policy.
How the Great Recession Was Brought to an End
The U.S. government’s response to the financial crisis and ensuing Great Recession included some of the most aggressive fiscal and monetary policies in history. The response was multifaceted and bipartisan, involving the Federal Reserve, Congress, and two administrations. Yet almost every one of these policy initiatives remain controversial to this day, with critics calling them misguided, ineffective or both. The debate over these policies is crucial because, with the economy still weak, more government support may be needed, as seen recently in both the extension of unemployment benefits and the Fed’s consideration of further easing. ....... without the government’s response, GDP in 2010 would be about 11.5% lower, payroll employment would be less by some 8½ million jobs, and the nation would now be experiencing deflation. ...... When we divide these effects into two components—one attributable to the fiscal stimulus and the other attributable to financial-market policies such as the TARP, the bank stress tests and the Fed’s quantitative easing—we estimate that the latter was substantially more powerful than the former.

Friday, December 25, 2015

पहली बार मोदी नवाज Body Language पॉजिटिव है



Modi's Lahore stopover nothing more than an adventure, says Congress
"It is unfortunate that we get to know about prime minister's visit through a tweet... India and Pakistan relations are not so good as yet that he stops over there on his way back from another country," Congress spokesperson Ajoy Kumar said.