Saturday, January 31, 2015

प्रधान मंत्री जन धन आयोजना और Microfinance

मोदीने जो किया है वो एक क्रांतिकारी कदम है। अब लगभग सभी भारतीय परिवारोंके पास बैंक खाता है। संपत्ति सोने के रूपमें मत रखो, बैंक खातेमें पैसा जमा करो -- वो सन्देश है। बहुत बड़ी बात है ये। देशकी कायापलट कर देगी। Domestic Capital Markets के लिए इतना बड़ा काम भारतमें पिछले हजार सालमें नहीं हुए। चार महिनेमें कर दिखाया।

मोदीने गुजरातमें जो काम किया विकासके लिए उसका मैं सदैव प्रशंसक रहा। और २००२ दंगे जो कि एक बहुत बड़ी ट्रेजेडी थी, उसके लिए मैंने भारतके सर्वोच्च अदालतको माना। उस अदालतने निर्णय किया कि मोदी जिम्मेवार नहीं हैं तो नहीं हैं। और वो मेरी अडान चुनाव से पहले की है। लेकिन चुनाव के दरम्यान मैं नीतिश के लिए रूटिंग कर रहा था। सोच्ने वाली बात ये है कि मेरी पैदाइश बिहारकी है। दरभंगा में पैदा हुवा मै। और नीतिश ने बिहारकी कायापलट की। तो उतना तो मेरे को करना ही था। अभी भी मैं उनका प्रशंसक हुँ। लालुका भी मैं प्रशंसक हुँ। लालुके पार्टीके बिहार यूनिट (एक ही तो यूनिट है पार्टीकी) के प्रेसिडेंट रामचन्द्र पुर्वे मेरे मामा लगेंगे। लालु जब मुख्य मंत्री थे तो मेरे मामा उनके शिक्षा मंत्री थे। And Laloo has been the best Railways Minister in India's history. नीतिशने मुख्य मंत्रीके रूपमें और लालुने रेल मंत्रीके रूपमें जादु ही कर दिया। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से लेके बिल गेट्स तक दोनों के फैन हो गए। तो उसकी सराहना तो करनी ही होगी। १,००० साल की caste dynamics को लालु ने चैलेंज किया। छोटीमोटी बात नहीं है।

भारतके वो प्रथम प्रमुख नेता हैं नीतिश जिन्होने मोदीको भविष्यका प्रधान मंत्री बताया। वो मुख्य मंत्री बनने से पहले की बात है। RSS का जो लव जिहाद और घर वापसीका ढकोसला है वो नीतिशको भी अच्छा नहीं लगा तो मोदीको भी नहीं। मोदी तेली तो नीतिश कुर्मी --- दोनों एक ही caste category से हैं। दोनों पिछड़े वर्गसे हैं। दोनों निम्न परिवारसे हैं। दोनों ने मुख्य मंत्रीके रूपमें बहुत अच्छा काम किया।

गौर करनेवाली बात ये है कि २०१४ में प्रधान मंत्री पदके लिए सिर्फ एक आदमी लड़ रहा था। घोषित कैंडिडेट दुसरा कोइ था ही नहीं। राहुल घोषित कैंडिडेट नहीं थे। नीतिश तो थे ही नहीं। एक बार बात ही बात में कह दिया, "मैं कोइ बुरा कैंडिडेट थोरे हुँ," लेकिन वो दौर में नहीं थे। नीतिशका इशारा था एल के आडवाणी की ओर। अभी भी मुलायमकी और इशारा कर रहे हैं। फिर से गलती कर रहे हैं। बडोका आदर करो, लेकिन इतना मत करो कि डेमोक्रेसी गड़बड़ हो जाए।

Maybe it was not a well thought out position by Nitish. Maybe he made a mistake in breaking up with the BJP on the issue of Modi. I don't know. I am not sure. If he had been part of the NDA, he would have been its most important leader after Modi himself. But he let that go.

तो फिर नीतिश ने क्या किया? क्या गलती किया? शायद। लेकिन लोकतंत्रमें उनका लोकतान्त्रिक अधिकार है। वैसे भी वो जनता परिवार पृष्ठभूमिके लोग हैं। जहाँके थे वहाँ चले गए। या अगर प्रधान मंत्री के रेस में थे तो मोदी जित गए। वो हार गए। होता है।

सुशील मोदी कहते हैं, २००५ के बाद बिहार में अच्छा काम हुवा, उसका श्रेय तो मैं भी लुंगा। कोई गलत तर्क नहीं है। बात भारतकी है, लोकतंत्रकी है, विकासकी है, बिहारकी है। सुशील मोदीका कास्ट बैकग्राउंड भी नीतिशके जैसा है। तो मेरेको लगता है प्रतिस्प्रधा कसके होगी।

सारे भारतमें केजरीवाल और नीतिश ही हैं जो मोदीको चैलेंज कर सकते हैं। दिल्लीका चुनाव बिहार के लिए भी मायने रखती है। अगर केजरीवाल चुनाव हार जाते हैं तो नीतिशको बिहारमें दिक्कत है। Bihar is tougher than Delhi. दिल्लीमें केजरीवाल जित भी जाते हैं तो बिहारमें नीतिशको आसान है ऐसी बात नहीं।

लेकिन अगर केजरीवाल और नीतिश दोनों मुख्य मंत्री बन भी जाते हैं तो मोदीको केंद्रमें कोइ खास डिस्टर्ब नहीं होगा। भारतकी लोकतंत्र मजबुत होगी। लोकतंत्रमें बिपक्ष भी कोइ मायने रखती है। अभी तो लग रहा है मोदी कमसेकम १० साल तो प्रधान मंत्री बने ही रहेंगे। काम अच्छा कर रहे हैं।

बात है प्रधान मंत्री जन धन आयोजना की और Microfinance की। एक आधार बन गयी है। देश व्यापी रूपसे Microfinance का विस्तार किया जा सकता है।


Friday, January 30, 2015

India Is The New Britain: Thanks To Muslims And China


The oldest democracy of modern times (the first republic was in the time of Buddha) has the historic burden to see through a total spread of democracy as it works its own way to a more perfect union. I hope for peaceful methods and ways, but violence was a part of World War II, the Cold War, and now is a part of the (for lack of a better phrase) War On Terror. When you do the math, China glares you in the face. Should the War on Terror - and the only way it can conclude is after a total spread of democracy has been achieved across the Muslim world - conclude, what is next? China?

When the tussle between capitalism and communism first began, capitalism/democracy first responded by creating an elaborate welfare state. Was that communism's victory? I don't know. But that sure made the case of democracy much stronger. Similarly China makes a clear case for campaign finance reform in political systems like America, even as it fights the losing battle of keeping the lid on political reform.

But if democracy is to be spread across the Muslim/Arab world and democracy is to be spread across China, India finds itself at the center of the universe. India has a huge Muslim population. Not only that, India needs to prove democracy works for Muslims and is right by the Muslims. India also is one of the countries (like Japan, the Phillippines, Vietnam, and others, you could argue Taiwan) with which China likes to pick small fights on border issues. That is little to do with unsettled borders and much to do with the tussle between fundamentally different political systems that can not co-exist forever. In a democracy, the system is designed such that the people get to blame the politicians in power and kick them out. But autocracies are designed in ways that the system necessarily needs to create and sustain external enemies to rally the people behind, kind of like a safety valve. And so China needs to keep picking small fights with Japan and India, and it needs to keep threatening Taiwan. It is the nature of the beast. Curiously the same China seems to have no border problems with Russia, another land starving for democracy.

India has to have one uniform civil code for all its citizens, Hindus, Muslims and everyone else. The Sharia law has no place in a democracy. The separation between church/temple/mosque and the state is fundamental to how a modern democracy works. On the other hand, there is a need for some soul searching as to why Muslims in India lag on all socio-economic indicators. The Indian democracy does not seem to be working for Indian Muslims. That Hindus in Pakistan and Bangladesh have it rougher is no excuse.

An America-India-Japan-Australia alliance, not to contain or counter China, but to keep the Indian and Pacific oceans open for commerce and rules based order is a welcome step. China's saber rattling has been unnerving too many across too many countries over the years.

The oldest and the largest democracies are but natural partners. India is the new Britain. Two dudes who look like MLK and Gandhi rule the two largest democracies on the planet. We must be living in a post-colonial world.