पहला FDI, और हाल ही में मेरे को दिखा दुसरा मधेस।
मोदी के उदय से पहले मेरे को लगता था मधेस और मधेसी शब्द दिल्ली के डिक्शनरी में है ही नहीं। ये नहीं की केयर नहीं करते या बुरे लोग हैं। उनको मालुम ही नहीं कि इस दुनिया में मधेसी हैं भी। जैसे कि मेरे को लगता है मैडागास्कर में मालुम नहीं होगा कि मधेसी भी हैं कहीं। इसका मतलब वो बुरे लोग हैं ऐसी बात नहीं।
नीतिश काठमाण्डु आए। बातचीत से लगता है मैडागास्कर से आए हैं। बिलकुल अनभिज्ञ हैं। पुछ रहे हैं रावणों से, मधेस आंदोलन के बारे में बताइए। तो प्रचंड ने नीतिश से मिलने के बाद वक्तव्य निकलवाया कि नीतिश ने कहा अब तक नेपाल में जो हुवा आप ही के नेतृत्व में हुवा और आगे भी आप ही के नेतृत्व में होगा। नीतिश ऐसा बोले होंगे मेरे को नहीं लगता। लेकिन प्रचंड ने one party dictatorship का थिंकिंग कभी छोड़ा ही नहीं। देश में कोई प्रधान मंत्री आ जाए उन्हें लगता रहता है देश मेरे ही नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है।
प्रचंड ने नीतिश को मधेसी समझ के हेप के बात किया। Patronizing tone में। राडार पर उतना को दिखना चाहिए कि नहीं कि इस आदमी ने मेरे से किस टोन में बात किया?
प्रचंड ने नीतिश को मधेसी समझ के हेप के बात किया। Patronizing tone में। राडार पर उतना को दिखना चाहिए कि नहीं कि इस आदमी ने मेरे से किस टोन में बात किया?
समाजवाद में होता है पैसा केंद्र सरकार से माँगो। देगा तो नहीं। तो फिर रैलियां निकालो। प्रेस में जा के हल्ला करो। मोदी के सरदार पटेलवाद में होता है कि FDI से लाओ पैसा। गारंटी आएगा। तो जिस तरह मोदी मुख्य मंत्री थे तो सालाना गुजरात समिट करते थे। बिहार में भी करना चाहिए। पैसा आने का वही एक तरिका है। और वो फॉरेन ऐड से बेहतर होता है।
पड़ोस में रहते हैं लेकिन नीतिश मधेसी से इतने अनभिज्ञ!
और इनकी ग्रैंड अलायन्स की गाडी बिहार में अटक गयी। राहुल क्रेडिट ले रहे हैं। कि हम ने बिहार में कर दिखाया। अब असम और उत्तर प्रदेश में भी कर दिखाएंगे। असम तो मेरे को मालुम नहीं लेकिन उत्तर प्रदेश में तो आपका दुकान भी नहीं।
मधेसको पहचानना ज्यादा जरुरी नहीं। लेकिन नीतिश FDI को ना पहचाने तो या तो अलायन्स टुट जाएगी या तो अगला चुनाव हार जायेंगे बिहारमें।