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Friday, October 04, 2024

भगवान कल्कि आ चुके



कलि युग का शुरुवात कैसे हुवा? ५,००० साल पुरानी बात है। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ योद्धा अर्जुन के बेटे अभिमन्यु के बेटे राजा परिक्षित को कलि पुरुष ने अनुरोध किया: "हमें रहने के लिए जगह दो।" कलि पुरुष कौन? वही जिसे इशाई, यहुदी और मुसलमान शैतान या सेटन कहते हैं। 

पिछले युगों के घटनाएं इस कलि युग के लोगों को जादुइ लगते हैं। तो पिछले युग के लोगों को भी इस कलि युग के घटनाएं असंभव और काल्पनिक लगते थे। कनिष्ठ पांडव द्वय नकुल सहदेव ने सपने देखे। भगवान श्री कृष्ण को कहा। तो श्री कृष्ण ने उन्हें समझाया कि जो देखा कलि युग में वही सब होने को है। तो नकुल सहदेव को अजीब लगा। ऐसा भी होना संभव है क्या? लोग एक दुसरे से उतना गलत व्यवहार करेंगे? 

धर्म का क्षय होने से क्या होता है? लोगों का एक दुसरे के प्रति व्यवहार ख़राब होते चला जाता है। अगर आप को कलि युग से समस्या है जहाँ धर्म चार में सिर्फ एक पैर पर खड़े रहती है तो आप को नर्क में काफी समस्या होगी। नर्क जाने से बचें। अच्छा कर्म करें। 

मृत्यु शैया पर भीष्म पितामह ने भगवान श्री कृष्ण को कहा: "आप तो ईश्वर हैं ना?" उनके कहने का तात्पर्य था क्या ऐसा छलकपट ईश्वर को शोभा देता है? भीष्म पितामह को छल से मारा गया था। पहले तो भगवान श्री कृष्ण ने कहा, "मैं तो आप का पौत्र हुँ।" 

फिर कहा: "ये तो आप ने कुछ नहीं देखा। कलि युग में तो और क्या क्या करने होंगे।" यानि कि भगवान कल्कि को कलि युग समाप्ति के कार्य के दौरान क्या क्या करने पड़ सकते हैं। 

कलि पुरुष ने अनुरोध किया: "हमें रहने के लिए जगह दो।" राजा परिक्षित ने कहा: "कहाँ रहोगे?" जवाब आया: "सोने में रहने दो। पैसे में रहने दो।" और हो गया शुरू कलि युग। 

बाइबल के गॉस्पेल में जिस शब्द का सबसे ज्यादा जिक्र है वो है पैसा। जो इन्सान पैसे को सर्वोपरि मानता है वो अपने लिए स्वर्ग के द्वार बंद कर लेता है। ५,००० साल में पहली बार किसी ने कलि युग समाप्ति का एक रोडमैप लाया है। पुस्तक का नाम है कल्किवादी घोषणापत्र। उसमें पैसारहित समाज के निर्माण की बात है। देश रहेगी, समाज रहेगी, अर्थतंत्र रहेगी, लेकिन पैसा नहीं। जो लोग जानते हैं कलि युग कैसे शुरू हुवा उन्हें समझने में आसानी होगी कि कलि युग समाप्त करने के लिए पैसारहित समाज का निर्माण क्यों जरूरी है।

कलि युग समाप्ति और सत्य युग के शुरुवात की बात हो रही है। और इस बात का जिक्र अलग अलग धर्म के धर्म ग्रन्थों में है। लेकिन आप को बहुत लोग मिल जाएंगे जो उसको गलत समझ रहे हैं। युग के अंत को गलत समझ के धर्ती का ही अंत कह रहे हैं। कह रहे हैं दुनिया ख़त्म हो जाएगा। युग ख़त्म होगा दुनिया नहीं। 

ईश्वर एक हैं। सृष्टि एक तो ईश्वर कितने होंगे? सृष्टि एक तो श्रष्टा कितने? ईश्वर कोइ प्रधान मंत्री या राष्ट्रपति नहीं कि भारत का प्रधान मंत्री एक आदमी और अमेरिका का राष्ट्रपति कोइ दुसरा आदमी। 

इस्लाम १४०० साल पुराना। इशाई धर्म २,००० साल पुराना। बौद्ध धर्म २५०० साल पुराना। यहुदी धर्म यही कोइ ४,००० साल पुराना। यहुदी भी और चिनिया भी दोनों कहते हैं कि हम बहुत पुराने लोग हैं, हमारी इतिहास बहुत पुरानी है। कितनी पुरानी? दोनों कहते ५,००० साल पुरानी। 

यानि कि सनातन धर्म के अलावे बाँकी प्रमुख धर्म सबके सब इस कलि युग में पैदा हुवे। 

इशाई लोगों को आश्चर्य होता है कि हमने मान लिया जीजस ही मसीहा हैं लेकिन यहुदी क्यों नहीं मान रहे? तो २,००० साल पहले येशु को उनके शिष्यों ने कहा: "आप कहते रहते हो ईश्वर ईश्वर। सिखाओ हमें उस ईश्वर को प्रार्थना कैसे करें।" तो येशु ने जो सिखाया वो इशाई धर्म का सबसे प्रख्यात प्रार्थना है। दुनिया के प्रत्येक देश के प्रत्येक चर्च में प्रत्येक रविवार को वो प्रार्थना करते ही करते हैं। कि हे ईश्वर धरती पर आ जा और सारे धरती का राजा बन जा। यानि कि २,००० साल से दुनिया भर के इशाई वो प्रार्थना करते आ रहे हैं। वो प्रार्थना येशु को लक्षित नहीं है। यानि कि उसमें येशु को नहीं पुकारा जा रहा है। 

यहुदी इजिप्ट में गुलाम थे। उन्होंने ४०० साल तक प्रार्थना की। कि हे ईश्वर हमें इस गुलामी से मुक्ति दिला। उनकी प्रार्थना सुनी गयी। वो सारी कहानी आप बाइबल में पढ़ सकते हैं। २,००० साल से इशाई प्रार्थना कर रहे हैं कि हे ईश्वर धरती पर आ, सारे धरती का राजा बन। 

आप यहुदी को पुछिए। क्यों नहीं मानते तुम येशु को मसीहा? तो वो कहेंगे हमें जिस मसीहा का इंतजार है वो सारे पृथ्वी के अकेले राजा होंगे और दुनिया के कोने कोने तक शांति और समृद्धि ले जाएंगे। येशु राजा नहीं फ़क़ीर था। मरते समय उसके पास संपत्ति के नाम पर फुटी कौड़ी नहीं थी। 

जिस मसीहा का यहुदी को इंतजार है उसी के आने के लिए दुनिया भर के इशाई २,००० साल से प्रार्थना करते आ रहे हैं। कि हे ईश्वर धरती पर आ जा और सारे धरती का राजा बन। यानि कि यहुदी को भी और इशाई को भी उसी एक व्यक्ति का इन्तजार है। 

कल्किवादी घोषणापत्र में दुनिया के कोने कोने तक शांति और समृद्धि ले जाने का रोडमैप है। काम शुरू हो चुका है। उसको लागु करने के लिए नेपाल को पायलट प्रोजेक्ट देश चुना गया है। कल्किवादी घोषणापत्र में एक ऐसे अर्थतंत्र की कल्पना है जहाँ प्रत्येक व्यक्ति के पास काम है, चाहे वो घर के भितर घर सम्हाल रही महिला हो चाहे और कोइ। प्रत्येक काम का एक ही मुल्यांकन। आप ने आठ घंटे काम किए आप के खाते में आठ घंटे गए। पैसा है ही नहीं। आप को बाजार में जा के कुछ खरीदना है तो किसी चीज का मुल्य रहेगा दो सेकंड, किसी का २० मिनट, किसी का ५० घंटा। बेरोजगारी बिलकुल ख़तम। सबके पास काम। बड़े से बड़े शहरों से छोटे से छोटे गाओं तक एक ही लिविंग स्टैण्डर्ड। महिला पुरुष समानता। गरीबी नामकी कोइ चीज रहेगी नहीं। महँगी ख़तम। आज का एक घंटा जितना होता है १०,००० साल पहले भी उतना ही होता था और १०,००० साल बाद भी उतना ही होगा। 

जिस शांति और समृद्धि का इन्तजार यहुदी को है उसका रोडमैप कल्किवादी घोषणापत्र में क्यों है? और वो सबसे पहले नेपाल में क्यों लागु होने जा रहा है? बाइबल का सबसे प्रख्यात पुस्तक है गॉस्पेल ऑफ़ जॉन। उसके प्रथम दफा में ही कहा गया है येशु ने स्वर्ग और धरती की सृष्टि की। आप किसी भी हिंदु को पुछ लिजिए: "स्वर्ग और धरती की सृष्टि किसने की?" तो वो तुरन्त बोलेंगे: "ब्रम्हा।" 

हिन्दु जानते हैं और मानते हैं कि विष्णु मानव अवतार में बार बार धरती पर आ चुके हैं। राम भी वही, कृष्ण भी वही और बुद्ध भी वही। उनका दशवाँ और अन्तिम मानव अवतार होना है। उनका नाम रहेगा कल्कि। जैसे कृष्ण शब्द का अर्थ होता है काला उसी तरह कल्कि शब्द का अर्थ भी होता है काला। बुद्ध पैदा हुवे तो उनका नाम बुद्ध नहीं था। उनका नाम था सिद्धार्थ गौतम। बुद्धत्व प्राप्त करने के बाद वे बुद्ध बने। उसी तरह कलि युग समाप्त होने से भगवान कल्कि की भी परिचय स्थापित होती है। लेकिन कलि युग जब समाप्त होगी तब समाप्त होगी। पहले तो एक रोडमैप आएगा। वो आ चुका। एक पुस्तक के रूप में सारी दुनिया को उपलब्ध है। पुस्तकका नाम है कल्किवादी घोषणापत्र। 

हाल ही की सुपर डुपर हिट फिल्म "कल्कि २८९८ एडी" में दिखाया गया है शम्भाला। हिमाली क्षेत्र में कोइ अदृश्य दिवार के पिछे छिपा एक गाओं, एक छोटा सा शहर। शम्भाला। वो क्या है? वो एक ५,००० साल पुरानी भविष्यवाणी को समझने का प्रयास है। भविष्यवाणी है कि जब भगवान कल्कि आएंगे वो शम्भल में पैदा होंगे। तो लोग ढूँढ रहे हैं। कहा गया हिमाली क्षेत्र। लेकिन गलतफहमी ये है कि लोग गाओं शहर ढूँढ रहे हैं। वो शम्भल कोइ गाओं या शहर नहीं, पुरा का पुरा देश है जहाँ अमिताभ बच्चन साहब वर्षों पहले अपने महान फिल्म के शुटिंग के लिए गए थे। शम्भु का देश अर्थात शम्भल। शम्भु का देश, अर्थात पशुपतिनाथ का देश, अर्थात नेपाल। हिमाली भेग में आज कौन सा देश है जिसका नाम शम्भल शब्द से बहुत मिलताजुलता है? पाकिस्तान? भारत? भुटान? तो फिर? 

"कल्कि २८९८ एडी" में दिखाया गया है दीपिका पादुकोण का नाम है सुमति। सुमति क्यों? क्यों कि ५,००० साल पुरानी एक भविष्यवाणी है कि जब भगवान कल्कि आएंगे वे सुमति नाम के औरत के गर्व से पैदा होंगे। यानि कि माँ का नाम सुमति होना है। सुमति शब्द का शाब्दिक अर्थ निकलता है शांति। भगवान कल्कि पैदा हो चुके और उनके माँ का नाम शांति ही है। वे मुझे बहुत अच्छी तरह जानती हैं। 

राम पैदा हुवे अयोध्या। कृष्ण मथुरा। बुद्ध लुम्बिनी। कल्कि मटिहानी। शंकराचार्य बॉर्डर के उस पार बिहार में पैदा हुवे। उनका एक अहं रोल रहेगा इस प्रोजेक्ट में। कलि युग समाप्ति वाले प्रोजेक्ट में। 

भगवान कल्कि जो काम करने जा रहे हैं वो समझना है तो आप अमिताभ बच्चन का "कल्कि २८९८ एडी" नहीं शाहरुख़ खान का जवान देखिए। जवान फिल्म में दिखाया गया है काम कैसे आगे बढ़ेगी। जब कि डायरेक्टर एटली या अभिनेता शाहरुख़ खान ने कोइ कल्कि मुवी बनाइ ही नहीं। उन्हें भी आश्चर्य होगा ये जान के कि जो फिल्म उन्होंने बनाइ वो एक कल्कि मुवी बन गयी। 

भगवान कल्कि सम्बंधित १२ में से ११ भविष्यवाणी भगवान कल्कि में पुरे हो चुके हैं। उससे उनकी परिचय स्थापित होती है। सबसे महत्वपुर्ण बात तो है काम। कलि युग समाप्ति का रोडमैप जो आया है। 

क्रिस्चियन कहते होली फादर, होली सन, होली स्पिरिट। उन्हें ही हिन्दु कहते विष्णु, ब्रम्हा, शिव। यानि कि दुनिया भर के क्रिस्चियन २,००० साल से भगवान विष्णु को पुकार रहे हैं कि हे ईश्वर आ धरती पर राज कर। आप हिन्दुओं को पुछिए: "क्या भगवान विष्णु ने कभी मानव अवतार में धरती पर राजा बन के राज किया है?" राजा राम सिर्फ अयोध्या के राजा थे। भगवान कल्कि सारे पृथ्वी के राजा होंगे। दुनिया के कोने कोने तक शांति और समृद्धि जाएगी। 

हिन्दु कहते बुद्ध भी विष्णु के अवतार। इस बात को बहुत बौद्ध धर्मावलम्बी नहीं मानते। लेकिन वो न मानने वाले प्रत्येक सिद्धार्थ गौतम की कहानी जानते हैं। राजकुमार  सिद्धार्थ गौतम को उनके राजा पिता ने दुनिया के हर संभव सुख शयल दिए ताकि बालक को जोगी बनने का विचार सपने में भी न आवे। लेकिन गौतम जोगी बन गए। उनके पैदा होते ही एक एस्ट्रोलॉजर आ के बोले राजा को: "हे राजन, आपका ये बेटा बहुत विशेष है। या तो ये जोगी बनेगा या तो फिर सारे पृथ्वी का राजा।" राजा को तो राजा चाहिए था।  

पिछले बार जोगी बने। अबकी बार राजा बनेंगे। 

आपने महाभारत टेलीसीरियल अगर देखी है तो गौर किया होगा शुरू में ही एक वाक्य आता है। यदा यदा ही धर्मश्य। यानि कि भगवान श्री कृष्ण गीता में कह रहे हैं: "मैं धर्म के पुनर्स्थापना हेतु प्रत्येक युग में आउंगा।" उनके आने का हिन्दु समाज ५,००० साल से इंतजार कर रही है। वे आ चुके। कलि युग समाप्ति का काम शुरू हो चुका। 

इंडिया का नाम भारत हो चुका। उस भारत का नाम भगवान कल्कि के नाम पर कल्किस्तान होने जा रहा है। मोदी के बाद जो प्रधान मंत्री होंगे वो भारत के अंतिम प्रधान मंत्री होंगे। वर्णन योगी जी से बहुत मिलता है। वो देश भगवान कल्कि को सौंपेंगे। वो कल्किस्तान अभी के भारतवर्ष से बहुत बड़ा होगा। उतना बड़ा होगा जितना बड़ा इतिहास में कभी रहा नहीं। मोदी प्रधान मंत्री पद से हटने के बाद कल्कि प्रोजेक्ट में सम्मिलित हो जाएंगे। 

कल्किवादी घोषणापत्र के लेखन में सहयोग करने वाले काठमाण्डु के दिग्गज अर्थशाष्त्री डॉ उमाशंकर प्रसाद नेपाल के युनुस हैं। बंगलादेश में जिस नाटकीय ढंग से सत्ता परिवर्तन हुवी उससे ज्यादा नाटकीय ढंग से नेपाल में सत्ता परिवर्तन होनी है और डॉ उमाशंकर प्रसाद को नेपाल का राष्ट्राध्यक्ष बनना है और कल्किवादी घोषणापत्र को नेपाल में लागु करना है। पहले नेपाल। उसके बाद भारत और चीन के रास्ते दुनिया के प्रत्येक देश तक पहुँचना है। नेपाल को विश्व गुरु बनना है। 

भगवान कल्कि आ चुके। धरती पर हैं। कलि युग समाप्ति का काम शुरू हो चुका। सहभागी हो जाइए इस युग परिवर्तन के प्रोजेक्ट में। 













Thursday, July 04, 2024

युग परिवर्तन के लिए विश्व युद्ध का होना जरूरी नहीं



युग परिवर्तन के लिए विश्व युद्ध का होना जरूरी नहीं
जुलाई ४, २०२४

विश्व में टेंशन उच्च स्तर पर है। और बढ़ती ही चली जा रही है। इस अवस्था में कोइ छोटा खिलाडी ही कोइ हरकत कर दे तो बात बहुत जल्द बहुत बिगड़ जाएगी। इजराइल में कुछ वैसा ही हुवा। कुछ बिद्वान लोग तो कह रहे हैं कि विश्व युद्ध शुरू हो चुका है। द्वितीय विश्व युद्ध भी तो ऐसे ही शुरू हुवा था। वो तो ख़त्म होने के बाद लोगो ने कहा शुरू कब हुवा। लेकिन जब शुरू हुवा तभी तो लोगो को नहीं लगा कि ये विश्व युद्ध है।

ये युद्ध अनावश्यक है। लेकिन रावण और दुर्योधन को कौन समझाए? १०-१५ रावण एक दुसरे से युद्ध करने को उतावले हैं।

दुनिया के बड़े बड़े देश एक दुसरे को कुछ ही घंटो में पाषाण युग (Stone Age) में धकेल देने की ताकत रखते हैं। ऐसे ऐसे हतियार रखे हुवे हैं कि अगर युद्ध हुवा तो कोइ जितेगा नहीं। फिर भी टेंशन घटाने के जगह बढ़ाने पर उतावले हैं।

रूस और अमरिका एक दुसरे के राजधानी के निकटतम जगहों पर आणविक अस्त्र इकठ्ठा कर लिए हैं लेकिन बातचीत तक नहीं हो रही। ऐसी नौबत आ सकती है कि सिर्फ एक दुसरे को डराने के बजाए फर्स्ट स्ट्राइक की सोंच बन जाए किसी एक तरफ। मरता क्या न करता वाली नौबत आ सकती है।

लेकिन जो देश इन देशों में से नहीं हैं वे भी तो बेफिक्र नजर आ रहे हैं। युक्रेन युद्ध शुरू हुवा तो सारी दुनिया को असर पड़ी। गेहुँ का भाव आसमान छुने लगा बहुत देशों में। गेहुँ की बात छोड़िए। अगर बात बिगड़ी तो गेहुँ के जगह पानी का भाव आसमान छुने लगेगा। और वो बात अफ्रिका में नहीं अमरिका में हो सकती है।

युद्ध अगर न भी हो तो ग्लोबल वार्मिंग जिसके लिए अमरिका, युरोप, जापान और चीन जिम्मेदार हैं उसके कारण हिमालय पर्वत के ढेर सारे हिमनदी पिगल कर दक्षिण एशिया में पानी के लिए हाहाकार हो सकती है। और ये दुर भविष्य की बात नहीं। प्रत्येक साल गर्मीं में तापमान के रेकॉर्ड ब्रेक हो रहे हैं।

कोरोना महामारी में न्यु यॉर्क से लोग भागे थे और दशों मील, पचासों मील दुर जहाँ जहाँ कोइ किराए का जगह मिला सब ले लिए थे। लेकिन एक वैसी अवस्था की कल्पना किजिए जब रूस और अमरिका आमने सामने हो गए हो तो रूस का प्रथम प्रयास रहेगा मैनहट्टन पर आणविक आक्रमण। क्योंकि उसका उद्देश्य होगा देश को प्यारलाइज़ करने का सबसे आसान तरिका। उस अवस्था में लोग भागेंगे तो फिर किराए का घर नहीं तलाश करेंगे। लॉ एंड आर्डर बिलकुल ब्रेकडाउन हो चुकी होगी। जबरजस्ती घरों में घुसेंगे। जो बचे वो।

युक्रेन युद्ध शुरू होने के कुछ ही महिनों बाद न्यु यॉर्क शहर में आणविक आक्रमण हो गया तो क्या करे कह के महानगर की स्थानीय सरकार टीवी पर बिज्ञापन देने लग गयी थी। यानि की उस संभावना की बात मैं नहीं कर रहा। पिछले साल ही न्यु यॉर्क की स्थानीय सरकार कर चुकी थी।

भारत एक उभरता हुवा शक्ति राष्ट्र है। तटस्थ है। लेकिन सक्रिय तो भारत भी नहीं। अभी जो जगह व्हाइट हाउस का है पाँच हजार साल पहले धृतराष्ट्र का दरबार वही हुवा करता था। विश्व का शक्ति केंद्र। स्पष्ट संकेत है जिस तरह जापान में सुर्योदय से सुर्यास्त और फिर सुर्योदय होती है उसी तरह दिल्ली फिर विश्व की शक्ति केन्द्र बनने जा रही। युग परिवर्तन होगी। सत्य युग फिर से शुरुवात होनी है। कुछ ही दशक की बात है। वो नयी सत्य युग सारे विश्व के लिए होगी।

उस सत्य युग तक पहुँचने का सबसे अच्छा रास्ता है बगैर युद्ध का। संवाद का रास्ता। आमने सामने बैठ के विचारविमर्श करने का रास्ता। लेकिन संवादहीनता सिर्फ युक्रेन युद्ध को लेकर नहीं। संवादहीनता सिर्फ गाज़ा युद्ध को लेकर नहीं। भारतवर्ष भी तो उसी संवादहीनता की स्थिति में है। भगवान कल्कि को लेकर। भगवान राम की मंदिर तो बना लेते है। और बननी चाहिए। अच्छी बात है। भगवान राम सिर्फ भारत के नहीं, समस्त पृथ्वी के हैं, सारे ब्रह्माण्ड के मालिक हैं। लेकिन भगवान कल्कि धरती पर हैं, आ चुके हैं, उस बात की परवाह नहीं। जो युद्ध के लिए व्यग्र हैं वे भी और जो तटस्थ बैठे हैं वे भी, दोनों विश्व युद्ध का मार्ग ही तो प्रशस्त कर रहे हैं।