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Monday, June 10, 2019

भारतको चाहिए कि इमरान से वार्ता करें



पाकिस्तान के भितर कई ऐसे आतंकवादी संगठन हैं जो भारत के भितर घुसपैठ का प्रयास करते रहते हैं। ये सच बात है। उनमें से सभी नहीं लेकिन कुछ ऐसे संगठन भी हैं जिसको पाकिस्तानकी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई (ISI) पनाह देती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं निकाला जा सकता कि पाकिस्तानके प्रधान मंत्री के सीधा कमांड के अंदर वे काम करते हैं। पाकिस्तान की जो सियासत है वो थोड़ी अजीब सी है। The left hand does not know what the right hand is doing वाली बात है। गरीब देश है। पिछड़ा हुवा देश है। आप यूट्यूब पर जा के देख लो। पाकिस्तान के टीवी पर जो विज्ञापन आते हैं उनका क्वालिटी देख लो। लो क्वालिटी होता है। तो पाकिस्तान में जो राज्य व्यवस्था है वो दुरुस्त नहीं है। मान लो पाकिस्तान एक तांगा हो और उसको तीन घोड़े तीन तरफ घिंच रहे हो। जनमत प्राप्त प्रधान मंत्री आगे जाने के प्रयास में हो। सेना कभी लेफ्ट कभी राइट करती हो। ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई (ISI) तांगे को पिछे की ओर घसीट रही हो।

अमेरिका के एक सरकारी दफ्तर में जाओ। ड्राइविंग लाइसेंस लेने ही चले जाओ। रफ़्तार में काम हो जाता है। नेपाल भारत में बिजली का बिल देने जाओ। आप पैसे देने आये हो। फिर भी काम नहीं होता है। दफ्तर में लोग ऐसे बात करेंगे कि आप पैसे देने नहीं लेने आये हो। पाकिस्तान की राज्य व्यवस्था उससे भी दो कदम पिछे है। तो आप पाकिस्तान के प्रधान मंत्री पर शर्त डालें कि पहले अपने ब्यूरोक्रेसी को चुस्त दुरुस्त करें, लंदन वाशिंगटन जैसी एफिशिएंसी और कमांड लाबें नहीं तो बात ही नहीं करेंगे ये तो मुनासिब बात नहीं है।

पाकिस्तान के भितर कई ऐसे आतंकवादी संगठन हैं जो भारत पर भी धावा बोलते हैं और पाकिस्तान के अंदर भी विध्वंश मचाते हैं। आये दिन पाकिस्तान सेना पर ही अटैक। तो आप शर्त डालेंगे कि पहले आतंकवाद समाप्त करो फिर वार्ता हो सकती है ये तो बेतुकी बात हो गयी। अगर पाकिस्तान के प्रधान मंत्री के पास ये ताकत होती कि वो आतंकवाद समाप्त कर सकते तो वो क्या पहले पाकिस्तान के भितर समाप्त नहीं करते? आतंकवाद की बात छोडो। क्या आप मुंबई के भितर अपराध को समाप्त कर सकते हो? न्युन तो कर सकते हो। लेकिन क्या पुर्ण रूप से समाप्त कर सकते हो? अगर पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शर्त डालें कि आप मुंबई के भितर अपराध को समाप्त करो तब ही वार्ता हो सकती है तो वार्ता होगी क्या?

आतंकवादी को मच्छर मानो। तो मच्छर के पिछे सारा दिन मत भागो। तालाब किधर है? पता करो। तो तालाब तो है काश्मीर। काश्मीर समस्या को समाधान कर दो। तालाब नदी बन जाएगी फिर आतंकवादी संगठन सबको मौका बहुत कम मिलेगा।

काश्मीर समस्या का समाधान क्या है? क्या काश्मीर भारतको मिलना चाहिए? पाकिस्तानको? क्या काश्मीर को अलग देश बना दिया जाए? नहीं। समस्या समाधान न करने के वो तीन तरिके हैं। समस्या का समाधान है लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल को परमानेंट बॉर्डर बना दो। हो गया समाधान। उसके बाद बॉर्डर को धीरे धीरे डीमिलिटराइज़ करो। ट्रेड और ट्रांजिट धीरे धीरे बढ़ाओ। जिस तरह एक पंजाब इधर भी है और उधर भी उसी तरह एक कश्मीर ईंधर भी रहेगा और उधर भी।

इतना करने पर आतंकवाद का समस्या समाप्त तो नहीं होगा लेकिन बहुत हद तक समाधान हो जाएगा।

इमरान को पाकिस्तान सेना के तरफ से जो सम्मान प्राप्त है वो न भुट्टो बाप बेटी को प्राप्त था, न नवाज को। तो ये अच्छा मौका है। पाकिस्तान के साथ सफल वार्ता करने से भारत को बहुत फायदा है। अगर आप पाकिस्तान और भारत के बीच के लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल को परमानेंट बॉर्डर बना देते हैं तो आपके हाथो में एक सफल फोर्मुला आ जाता है। वही फोर्मुला आप चीन भारत के बीच के बॉर्डर तक भी ले जा सकते हैं। जो कि दुनिया का सबसे लम्बा विवादित बॉर्डर है।

मैं तो कहुंगा वार्ता ही नहीं शिखर वार्ता करिए। जिस तरह रेगन और गोर्बाचेव करते थे। शिखर वार्ता एक। शिखर वार्ता दो। शिखर वार्ता तीन।

वार्ता विरोधी लोग दोनों तरफ हैं और दोनों तरफ वो अपनी अपनी रोटी सेकने का काम करते रहते हैं। भारत हाथ हथियार ख़रीदे तो बहुतो को फायदा हो जाता है। पाकिस्तान में भी वही बात है। फॉलो द मनी।

रिस्क तो है। दोनों तरफ है। तो रिस्क तो लेना पड़ता है। बगैर रिस्क लिए आपके हाथों नोबेल शांति पुरस्कार नहीं आने हैं। मोदी और इमरान वार्ता करके काश्मीर समस्या समाधान कर लें और शांति पुरस्कार ले लें।

लेकिन बात शांति पुरस्कार की नहीं है। बात गरीबी की है। जितने गरीब लोग भारत में हैं उतने अफ्रीका में नहीं। पाकिस्तान से सम्बन्ध नार्मल हो जाती है तो भारतको गरीबी के विरुद्ध लड़ने में आसानी हो जाएगी।

कहा जाता है, You don't make peace with friends, you make peace with enemies.



Imran Khan follows PM Modi's footsteps, asks countrymen to pay taxes Pakistan PM Imran Khan seems to be following Narendra Modi by asking his countrymen to pay their taxes and declare all "benami properties"
Imran Khan writes to Narendra Modi, offers talks to resolve all disputes
Modi 'nauseated' Imran, but would Rajiv have, too? how Khan was “nauseated” when he was suddenly asked to shake hands with Gujarat Chief Minister Narendra Modi at a public event in 2006. ..... “When Imran saw Modi, a feeling of nausea hit him as he took his seat on the panel. It was overpowering and worsened when, to his dismay, he noticed Modi sprinting towards him… The Gujarat Chief Minister stood right in front of him, and Imran tried to look away, but Modi wasn’t deterred. He took Imran’s hands and shook them warmly….” ...... Imran’s fears on being seen and photographed with Modi are similar to the kind of fears other secular politicians harbour when they have to break bread with Modi. Nitish Kumar came close to damaging his alliance with the BJP when Modi published a picture of him and Nitish together at an opposition rally. Nitish was offended enough to return Modi’s cheque for flood relief in Bihar....... When Anna Hazare talked about the achievements of Modi in Gujarat, there was a secular outcry against him. To redeem himself, Hazare had to go to Gujarat to proclaim that it was one of the most corrupt states. Clearly, when it comes to Modi, you have to feign disgust. ........ When Amitabh Bachchan was chosen as Gujarat Tourism’s brand ambassador, he was criticised as though he had personally supervised all the 2002 killings in Gujarat........ Imran Khan, Nitish Kumar, Anna Hazare and Ghulam Vastanvi can be forgiven for treating Modi as a pariah because they have their own constituencies to cater to. Imran Khan had no option but to be “nauseated” by Modi because a photograph flashed back home of him shaking hands with Modi could have damaged his career – not that it was going anywhere at that point of time......... India’s secular mafia have perpetrated a labelling system whereby any good word for Modi is like signing your political death warrant or sending in your resignation from the Good People’s Club. You will them be lumped with the Sangh parivar and labelled for life. You become a fascist. A card-carrying member of murderous Hindu mobs........ This is hypocrisy and illiberalism at its worst. For what it is worth, let me state upfront that what Modi did in 2002 (or did not do, ie, protect the minorities) was no worse than what Rajiv Gandhi did (or did not do) 18 years earlier.



Imran Khan Could Bring Peace
Narendra Modi And Imran Khan Should Solve Kashmir And Bag A Joint Nobel

Saturday, December 12, 2015

काश्मीर: एक समस्या

लोग कहते हैं सबसे कठिन मसला है पलेस्टाइन का। गलत कहते हैं। दुनिया में सबसे कठिन मसला है कश्मीर का। कमसेकम पलेस्तिनियों के पास एटम बम तो नहीं।

तो इसको सुलझाया कैसे जा सकता है?

बहुतों ने दिमाग लगाया है। मेरे पास भी एक है। मैं भी कुछ बोल देता हुँ।

The solution is democracy. जब तक पाकिस्तान एक पुर्ण लोकतंत्र ना बन जाए तब तक कश्मीर समस्या ही रहेगा। पाकिस्तानी आर्मी और ISI को पुर्ण रूप से पाकिस्तानी संसद के तहत जब तक नहीं लाया जाएगा तब तक समस्या समाधान नहीं होगा।

इसका मतलब मैं ये नहीं कह रहा कि कश्मीर भारत का है या पाकिस्तान का। मैं कुछ कह ही नहीं रहा। मैं कह रहा वो बात बाद में करेंगे। पहला काम करो पाकिस्तान को एक पुर्ण लोकतंत्र बनाओ।

दो जन निर्वाचित सरकार जिसका पुरे गवर्नमेंट मशीनरी पर कब्जा है वो ये मसला आसानी से हल कर सकेंगे। अंततः कहेंगे जो हुवा सो हुवा इतिहास को भुलो आगे कि सोंचो line of control को बॉर्डर मान जाओ और ट्रेड पर फोकस करो पर्यटन पर फोकस करो people to people contact पर फोकस करो।

अंततः सारे दक्षिण एशिया को एक ही अर्थतंत्र बनना है। उसी में आम आदमी की भलाई है और ये आम आदमी का जमाना है।

तो पाकिस्तानी आर्मी और ISI को पार्लियामेंट के तहत लाएगा कौन? भारत? अमेरिका? नहीं। आम पाकिस्तानी जनता। एक समय आएगी जब जनता उस किस्मका मैंडेट देगी।

प्रश्न है वो समय कब आएगी। Can it be hastened? How?


Friday, July 10, 2015

Peace In Kashmir

The Disputed Territory : Shown in green is Kas...
The Disputed Territory : Shown in green is Kashmiri region under Pakistani control. The orange-brown region represents Indian-controlled Jammu and Kashmir while the Aksai Chin is under Chinese occupation. (Photo credit: Wikipedia)
I like this. A lot.
From unsigned notes revealed in 2009, it is known the two governments were contemplating a four point deal: the transformation of the Line of Control into a border; free movement across the LoC; greater federal autonomy for both sides of Jammu and Kashmir; and gradually-phased cutbacks of troops as jihadist violence declined.
Peace in Kashmir is crucial. The Kashmir border should some day become like the Nepal-India border, because it is the same people living on the two sides. A lot of trade and people to people. contact will go a long way.

Pakistan is not a monolith. It has terrorists, but they also target the Pakistani establishment and its people. Its army is not exactly subservient to popularly elected leaders. The ISI is a hydra, half in dark, the other half also in dark. The left hand does not know what the right hand is doing.

Engaging Pakistan is a complex picture. When you engage the moderates, and make progress on trade and peace, you threaten the extremists in the army and the ISI: the hardliners do their best to scuttle peace efforts. Because if there is peace between India and Pakistan, they become irrelevant inside Pakistan. So when they disturb, don't blame it all on the moderates you are engaging with.

Normalized relations with Pakistan will add 1% to India's growth rate.
General Kayani himself, in speech delivered in 2010, endorsed the jihadi project, saying “There is no greater honour than martyrdom nor any aspiration greater than it”. “The army is the nation”, he concluded, “and the nation is the army”.