श्री लंका में तामिल, बंगलादेश पाकिस्तान में हिन्दु,
नेपाल में मधेसी --- इन सब पर state mechanism के जरिए screw tight किया जाता है। ये कह के कि ये भारतीय हैं। और भारत चुप बैठा रहता है।
बर्मा के
रोहिंग्या भी उसी केटेगरी के लोग हैं। बहुत बड़ा
अन्याय हो रहा है। और भारत चुप बैठा है। चीन के शक्ति संरचना के कुछ लोग श्री लंका, नेपाल,
बर्मा सब जगह गोटी चाल रहे हैं। भारत चुप नहीं बैठ सकता। अपनों की हिफाजत करो। जागो।
रोहिंग्या को आना चाहिए भारत में लेकिन जा रहे हैं हिन्द महासागर में। चेहरा देखो, भारतीय होने का नंबर प्लेट लगा हुवा है। भारतीय हो ना हो --- भारत के पास शक्ति है, वो न्याय के काम ना आए तो वो शक्ति होने ना होने से क्या फरक पड़ा?
चाहे जितना व्यापार कर लो --- चीन के साथ मानव अधिकार के मुद्दे पर क्लैश तो होगा ही। It is unavoidable. And victory is the only option. वो शक्ति किस काम की जो न्याय के काम ना आए? Clash होगा, clash करेंगे --- खोज खोज के करेंगे। ढूँढ ढूँढ के करेंगे। Proactively करेंगे।
बर्मा पहले भारत ही तो था -- ब्रिटिश लोगो ने बदमाशी की, अलग कर दिया। फिर से भारत बना देने की धम्की दो।
जिस तरह वियतनाम में रूस और अमरिका का क्लैश हुवा उसी तरह अभी बर्मा में चीन और भारत का क्लैश हो रहा है। भारत तो मैदान में ही नहीं है। There are so many political, non military options on the table. बर्मा चीन का satellite स्टेट रहा है। चीन चाहे तो इस जेनोसाइड को युँ रोक सकता है।