भारत में मुसलमानो को पाँचवा कास्ट बना के रखा गया है। बहुत गलत बात है। मुसलमानों का अपना एक अलग धर्म है। जातपात मानना ही है तो आप उसको अपने धर्म तक सीमित रखो। दुसरों पर लाद तो नहीं सकते।
दलित को चौथा कास्ट। मुसलमानो को पाँचवा कास्ट। दलितों और मुसलमानो के प्रति व्यक्ति आय में वही दिखता है।
दलित को चौथा कास्ट और मुसलमानो को पाँचवा कास्ट बना के रखे रहो तब तक भारत विश्व शक्ति बन ही नहीं सकता, संभव ही नहीं। कास्ट सिस्टम ख़त्म करो, गरीबी ख़त्म करो, तो विश्व शक्ति बन जाओगे। कास्ट सिस्टम भगवान का नहीं इंसान का बनाया है। इंसान ख़त्म भी कर सकता है।
मानव अधिकार तो भारत के संविधान में सुरक्षित है। कोई भी व्यक्ति या संगठन या फिर खुद सरकार ही मानव अधिकार का हनन करे तो भारतका कोई भी नागरिक पुलिस और कचहरी कहीं भी जा के नालिस कर सकता है। एक नागरिक काफी है। अगर कोई एक भी आदमी आगे नहीं आता तो ये तो संविधान की कमजोरी नहीं। अपनी रीढ़ की हड्डी जरा मजबुत करो। Legal Defense Fund खड़े करो। कानुनी लड़ाई लड़ो।
जन धन का सुरक्षा एक आधुनिक राज्य (state) का प्रथम दायित्व होता है। लोकतंत्र में gender violence, caste violence, religious violence के लिए कोई जगह नहीं। दंगे नहीं होने चाहिए। जिस तरह cyclone के लिए Early Warming System होती है, उसी तरह दंगो को बिलकुल नाकाम किया जा सकता है। ये एक law and order problem है। अगर कहीं दंगा होता है तो हुवा कि पुलिस अपना काम नहीं कर रही।
हैदराबाद के जो ओवैसी दो भाईजान हैं उन्हें मैं कइ महिनों से बड़े गौर से देख रहा हुँ। मजलिस का नाम सिर्फ वही एक शब्द नहीं हो सकता क्या? पुरा नाम तो एक ब्रांडिंग प्रॉब्लम है।
दुसरा बात है अकबर ओवैसी साहब को कहुंगा, आप इतने अच्छे बोल लेते हो। लेकिन एक जगह मैंने यूट्यूब पर सुना आप ने कहा, १५ मिनट पुलिस रस्ते से हट जाओ सिर्फ और तब देखो। तो वो तो वाक स्वतंत्रता नहीं हुई। लोकतंत्र में हिंसा भी allow नहीं है और हिंसा के लिए आह्वान करो मंच पर से, वो भी allow नहीं है। लोकतंत्र ही तो ताकत है आप की। लोकतंत्र को मानो। बल्कि मंच पर से बोलो, कानुन अपने हाथ में मत लो, सशक्त होना है तो संगठित हो जाओ।
मजलिस की लोकतान्त्रिक संभावना विश्व राजनीति तक है। लोकतंत्र का सन्देश दुनिया के सभी मुसलमानों तक पहुँचाना है। वो काम मजलिस कर सकती है। लेकिन उसके लिए लोकतंत्र को मानना होगा।
गुजरात, उससे पहले भागलपुर, और तो और खुद पार्टीशन के समय ---- बहुत हताहत हुवे। अपने कौम का दर्द महसुस होना एक अच्छे नेता का खुबी है। लेकिन उस दर्द को शक्ति में बदलने के राह पर चलो। और रास्ता है लोकतंत्र का। अहिंसा का।
संगठित हो जाओ। सशक्त हो जाओगे। शिक्षित हो जाओ। समृद्ध हो जाओगे। बस। अल्लाह का ये जो क्रिएशन है उसको appreciate करो। Appreciate करने का रास्ता है math and science.
मजलिस का और तो और खुद हैदराबाद में मेयर नहीं। खुद अपने राज्य में मुख्य मंत्री नहीं। कमसेकम हैदराबाद में मेयर अपनी पार्टी के बना के दिखाओ। भारत भर के मुसलमान पहले ये देखना चाहते हैं कि आपकी पार्टी govern कर सकती है कि नहीं। एक दो बड़े शहरों में सरकार चला के तो दिखाओ।
मुसलमान समुदाय से राजनीति शुरू की अच्छी बात है, लेकिन एक बड़ा शहर चलाने के लिए सभी समुदाय को अपील करना होता है। तो करो। कुछ आएंगे, कुछ नहीं। उनकी मर्जी।
लोकतंत्र, मानव अधिकार, गणतंत्र, संघीयता, समावेशीता
सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, सुलभता
E for Education, E for Entrepreneurship, E for Energy
दुनिया के तीन में एक गरीब भारत में है। भारत ही तो है सारी दुनिया को गरीब बना के रखे हुवे है। मजलिस के पास विश्व राजनीति हिला देने की सम्भावना है।
दलित को चौथा कास्ट। मुसलमानो को पाँचवा कास्ट। दलितों और मुसलमानो के प्रति व्यक्ति आय में वही दिखता है।
दलित को चौथा कास्ट और मुसलमानो को पाँचवा कास्ट बना के रखे रहो तब तक भारत विश्व शक्ति बन ही नहीं सकता, संभव ही नहीं। कास्ट सिस्टम ख़त्म करो, गरीबी ख़त्म करो, तो विश्व शक्ति बन जाओगे। कास्ट सिस्टम भगवान का नहीं इंसान का बनाया है। इंसान ख़त्म भी कर सकता है।
मानव अधिकार तो भारत के संविधान में सुरक्षित है। कोई भी व्यक्ति या संगठन या फिर खुद सरकार ही मानव अधिकार का हनन करे तो भारतका कोई भी नागरिक पुलिस और कचहरी कहीं भी जा के नालिस कर सकता है। एक नागरिक काफी है। अगर कोई एक भी आदमी आगे नहीं आता तो ये तो संविधान की कमजोरी नहीं। अपनी रीढ़ की हड्डी जरा मजबुत करो। Legal Defense Fund खड़े करो। कानुनी लड़ाई लड़ो।
जन धन का सुरक्षा एक आधुनिक राज्य (state) का प्रथम दायित्व होता है। लोकतंत्र में gender violence, caste violence, religious violence के लिए कोई जगह नहीं। दंगे नहीं होने चाहिए। जिस तरह cyclone के लिए Early Warming System होती है, उसी तरह दंगो को बिलकुल नाकाम किया जा सकता है। ये एक law and order problem है। अगर कहीं दंगा होता है तो हुवा कि पुलिस अपना काम नहीं कर रही।
हैदराबाद के जो ओवैसी दो भाईजान हैं उन्हें मैं कइ महिनों से बड़े गौर से देख रहा हुँ। मजलिस का नाम सिर्फ वही एक शब्द नहीं हो सकता क्या? पुरा नाम तो एक ब्रांडिंग प्रॉब्लम है।
दुसरा बात है अकबर ओवैसी साहब को कहुंगा, आप इतने अच्छे बोल लेते हो। लेकिन एक जगह मैंने यूट्यूब पर सुना आप ने कहा, १५ मिनट पुलिस रस्ते से हट जाओ सिर्फ और तब देखो। तो वो तो वाक स्वतंत्रता नहीं हुई। लोकतंत्र में हिंसा भी allow नहीं है और हिंसा के लिए आह्वान करो मंच पर से, वो भी allow नहीं है। लोकतंत्र ही तो ताकत है आप की। लोकतंत्र को मानो। बल्कि मंच पर से बोलो, कानुन अपने हाथ में मत लो, सशक्त होना है तो संगठित हो जाओ।
मजलिस की लोकतान्त्रिक संभावना विश्व राजनीति तक है। लोकतंत्र का सन्देश दुनिया के सभी मुसलमानों तक पहुँचाना है। वो काम मजलिस कर सकती है। लेकिन उसके लिए लोकतंत्र को मानना होगा।
गुजरात, उससे पहले भागलपुर, और तो और खुद पार्टीशन के समय ---- बहुत हताहत हुवे। अपने कौम का दर्द महसुस होना एक अच्छे नेता का खुबी है। लेकिन उस दर्द को शक्ति में बदलने के राह पर चलो। और रास्ता है लोकतंत्र का। अहिंसा का।
संगठित हो जाओ। सशक्त हो जाओगे। शिक्षित हो जाओ। समृद्ध हो जाओगे। बस। अल्लाह का ये जो क्रिएशन है उसको appreciate करो। Appreciate करने का रास्ता है math and science.
मजलिस का और तो और खुद हैदराबाद में मेयर नहीं। खुद अपने राज्य में मुख्य मंत्री नहीं। कमसेकम हैदराबाद में मेयर अपनी पार्टी के बना के दिखाओ। भारत भर के मुसलमान पहले ये देखना चाहते हैं कि आपकी पार्टी govern कर सकती है कि नहीं। एक दो बड़े शहरों में सरकार चला के तो दिखाओ।
मुसलमान समुदाय से राजनीति शुरू की अच्छी बात है, लेकिन एक बड़ा शहर चलाने के लिए सभी समुदाय को अपील करना होता है। तो करो। कुछ आएंगे, कुछ नहीं। उनकी मर्जी।
लोकतंत्र, मानव अधिकार, गणतंत्र, संघीयता, समावेशीता
सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, सुलभता
E for Education, E for Entrepreneurship, E for Energy
दुनिया के तीन में एक गरीब भारत में है। भारत ही तो है सारी दुनिया को गरीब बना के रखे हुवे है। मजलिस के पास विश्व राजनीति हिला देने की सम्भावना है।