मामला आसान है? बिहार को १५% growth rate दिजिए ----- उस रेट पर अर्थतंत्र ५-५ साल में दोब्बर हो जाती है। अभी $60 Billion है ----- तो उसको २०२० में १२० बिलियन करिए और २०२५ में २४० बिलियन।
Showing posts with label 2015. Show all posts
Showing posts with label 2015. Show all posts
Saturday, June 20, 2015
Monday, June 08, 2015
Bihar Is Now 55-45
For Nitish and Laloo to come together and for Laloo to agree to declaring Nitish the chief ministerial candidate: these two developments have boosted Nitish' prospects, but it might still not be enough to take him past the finish line. This prevents a total wipeout like in the 2014 Lok Sabha elections. But if the BJP manages to rope in both Jitan and Pappu, both of whom are opposed to Nitish, it suddenly starts looking 60-40 or better for the BJP.
The wild card here is not who will ally with whom but respecting that all elections are about the future. What will Nitish do over the next five years? If he goes on the Give Me My Wages tangent like in 2014, he will lose, possibly decisively.
Nitish is more charismatic than Sushil Modi who still acts like he is trying to get away from under Nitish' shadow. Otherwise SuMo has a legitimate claim that he was crucial - indispensable - to Nitish giving seven excellent years as Chief Minister. It was the BJP that administered the road and health departments which showed some of the best work.
Sushil Modi should tell the people of Bihar what he will do over the next five years.
One of these two will become Chief Minister, the other will be Opposition Leader.
Another wild card is PM Modi. If he makes enough campaign stops, he will make a bad situation worse for Nitish. A victory in Bihar gives NaMo greater leg room in the Rajya Sabha, gives him a political boost nationally as he starts his second year, and brightens his prospects for Uttar Pradesh, a twice big a prize, and one that would cure all his Upper House woes. It is like NaMo needs the Bihar victory more than SuMo does. So expect him to campaign hard and make life miserable for Nitish.
Sunday, May 10, 2015
बिहार का मामला
बिहार में नीतिश का पोजीशन दिल्ली में केजरी के जैसा नहीं है --- फिर भी मजबुत तो है। २०१४ में प्रधान मंत्री पद के लिए मोदी के अलावे और कोइ लड़ ही नहीं रहा था। मैदान में कोइ और था ही नहीं। अभी बिहार में नीतिश अकेले कैंडिडेट हैं मुख्य मंत्री के। बीजेपी का कोइ कैंडिडेट नहीं है। जितन तो सिर्फ वोट काट्ने के फिराक में हैं। उनको लोभ है कि हंग असेंबली आ जाए किसी तरह तो बीजेपी वाले शायद भाव दें, अभी तो नहीं दे रहे हैं।
नीतिश ने शायद गलती की --- जब वो २०१३ में बीजेपी से बिहार में टुट गए। उसके बाद गलती किए मुख्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। दो दो बार जनता के मैंडेट का अपमान हुवा। अभी भी नवीन का लाइन मेरे को ठीक लग रहा है। वो knee jerk opposition के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस के पास दुसरा ऑप्शन नहीं हैं। उनको तो knee jerk opposition ही करना होगा। लोकतंत्र का असुल है। लेकिन नवीन उसमें नहीं फँसना चाहते। वो thoughtful opposition का रोल अदा करना चाहते हैं।
नीतिश क्या चाहते हैं? वो चाहते थे मोदी न आवे, आडवाणी आवे, हिन्दु rate of growth को बरक़रार रखे। बीजेपी ने आडवाणी को sideline किया तो इन्होने पगड़ी पहना दी मुलायम को। बीजेपी में अडवाणी और जनता परिवार में मुलायम --- दोनों ही हिन्दु rate of growth वाले हैं।
ये आश्चर्य की बात है। नीतिश खुद development man हैं। फिर?
बिल क्लिंटन का कहना है ---- all elections are about the future. पिछे जो किए सो किए। अब आगे क्या करेंगे -- ये नीतिश को कहना है।
Laloo was the best Railway Minister India ever had. लालु ने १,००० साल पुरानी कास्ट सिस्टम को चैलेंज किया, छोटी मोटी बात नहीं है। उनके समय के शिक्षा मंत्री, और कितने सालों से उनके पार्टी के बिहार यूनिट के प्रमुख (एक ही तो स्टेट यूनिट है) मेरे मामा लगेंगे: रामचन्द्र पुर्वे। मेरी पैदाइश बिहार की है --- दरभंगा।
Nitish has been the best Bihari Chief Minister of my lifetime. But he is about to face his toughest election since 2005.
बिहार का मामला पेंचीदा है। Right now I think it is 50-50. It could go either way.
लेकिन सिर्फ सुशासन कहने से नहीं होगा। विकास का भविष्यमुखी एजेंडा देना होगा जनता को।
२०१४ में बिहार के लोगों ने मोदी को वोट दिया -- गलती नहीं किया। मोदी अच्छा काम कर रहे हैं।
In the market the consumer is always right. That is the premise. In an election, the voters are always right. That has to be the premise.
नीतिश ने शायद गलती की --- जब वो २०१३ में बीजेपी से बिहार में टुट गए। उसके बाद गलती किए मुख्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। दो दो बार जनता के मैंडेट का अपमान हुवा। अभी भी नवीन का लाइन मेरे को ठीक लग रहा है। वो knee jerk opposition के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस के पास दुसरा ऑप्शन नहीं हैं। उनको तो knee jerk opposition ही करना होगा। लोकतंत्र का असुल है। लेकिन नवीन उसमें नहीं फँसना चाहते। वो thoughtful opposition का रोल अदा करना चाहते हैं।
नीतिश क्या चाहते हैं? वो चाहते थे मोदी न आवे, आडवाणी आवे, हिन्दु rate of growth को बरक़रार रखे। बीजेपी ने आडवाणी को sideline किया तो इन्होने पगड़ी पहना दी मुलायम को। बीजेपी में अडवाणी और जनता परिवार में मुलायम --- दोनों ही हिन्दु rate of growth वाले हैं।
ये आश्चर्य की बात है। नीतिश खुद development man हैं। फिर?
बिल क्लिंटन का कहना है ---- all elections are about the future. पिछे जो किए सो किए। अब आगे क्या करेंगे -- ये नीतिश को कहना है।
Laloo was the best Railway Minister India ever had. लालु ने १,००० साल पुरानी कास्ट सिस्टम को चैलेंज किया, छोटी मोटी बात नहीं है। उनके समय के शिक्षा मंत्री, और कितने सालों से उनके पार्टी के बिहार यूनिट के प्रमुख (एक ही तो स्टेट यूनिट है) मेरे मामा लगेंगे: रामचन्द्र पुर्वे। मेरी पैदाइश बिहार की है --- दरभंगा।
Nitish has been the best Bihari Chief Minister of my lifetime. But he is about to face his toughest election since 2005.
बिहार का मामला पेंचीदा है। Right now I think it is 50-50. It could go either way.
लेकिन सिर्फ सुशासन कहने से नहीं होगा। विकास का भविष्यमुखी एजेंडा देना होगा जनता को।
२०१४ में बिहार के लोगों ने मोदी को वोट दिया -- गलती नहीं किया। मोदी अच्छा काम कर रहे हैं।
In the market the consumer is always right. That is the premise. In an election, the voters are always right. That has to be the premise.
Related articles
Wednesday, March 18, 2015
Monday, January 26, 2015
Subscribe to:
Posts (Atom)