Map of Bihar showing location of Bhimbandh Wildlife Sanctuary (Photo credit: Wikipedia) |
Modi: A Force Of Nature
Elon Musk's Hyperloop And India
नीतिश और लालु को अनुशासन दिखानी होगी
भारतको १५% ग्रोथ रेट चाहिए
Land Acquisition And Labor Mobility
India Agenda: 100 World Class Universities
१५% Growth Rake कैसे Achieve करें
मोदी और सौर्य उर्जा
A Genuine World Government
मोदी, नीतिश, नेपाल, नेपालके मधेसी और मैं
JD (U) 80-90, RJD 50-60, Congress/Left 10-20
Bihar: The NDA's Turn To Crack?
मोदी और नीतिश को एक दुसरे की जरुरत है
Bihar@2025 = $240 Billion
नरेन्द्र मोदी, बिहार और नीतिश कुमार
नीतिश कुमार और नरेंद्र मोदी: दोनों के दोनों
इस साल के बिहार के चुनाव के बारे में मैंने ३०-७०, ४५-५५, ५५-४५, ६५-३५, और अब ५५-४५ की बात की है। अभी जैसा कि मैं देख रहा हुँ नीतिश ५५ और बीजेपी वालों ४५ पर हैं। लेकिन ये बिहार है ("उड़ती चिड़िया को हल्दी लगाती है बिहार का वोटर!" ---- श्री लालु प्रसाद यादव) --- अभी स्थिति फिर भी काफी तरल है।
लालु ने फिर से बखेड़ा किया तो बीजेपी को फ़ायदा हो जाएगी। नीतिश को जो १०० सीट मिलना है, अभी जो उनके पास ११२ है कि क्या है उसी में से वो १०० रखेंगे। लालु इस बात को चैलेंज करने का नाटक करेंगे तो बीजेपी बगैर कैंपेन किए ही जित जाएगी।
लालु ने बखेड़ा किया और नरेंद्र मोदी दो हप्ते लगातार बिहार में बैठ गए, तो हो गइ दोनों की छुट्टी। दोनों को भुतपूर्व मुख्यमंत्री निवास मिला ही है, उसी में बैठेंगे। दोनों पास पास भी है।
नहीं अगर लालु एकता को बनाए रखते हैं, और नीतिश Bihar@2025 की बातको जनताको ठीक से समझा पाते हैं, और नरेंद्र मोदी बिहार में दो हप्ता बिताने के वावजूद बीजेपी बिहार में हार जाती है अगर तो नरेंद्र मोदी को राष्ट्रिय स्तर पर धक्का पहुंचेगा। इस बात को वो जरूर समझते होंगे। अगर नरेंद्र मोदी को लगा कि बिहार में जीत संभव नहीं तो वो शायद ज्यादा समय ना दें --- वैसे भी प्रधान मंत्री बहुत व्यस्त रहते हैं। दुनिया का सबसे व्यस्त आदमी।
Bihar@2025 की ताकत ये है कि आप जनताको सन्देश दे रहे हैं: (१) आप दिल्ली का सपना नहीं देख रहे हैं क्यों कि आप अच्छे हैं तो पटना में रहिए, आप दिल्ली जाइएगा कैसे? फिर एक और जितन को कुर्सी देके बिहार का मजाक उड़बाइयेगा? Bihar became a national joke all over again. पटना में आप जो कर सकते हैं वो और कोइ कर ही नहीं सकता, आप का कोइ उत्तराधिकारी नहीं है। रह गयी दिल्ली की बात तो वो आप जनता पर छोड़ दिजिए, लोकतंत्र है, जनताके निर्णय को स्वीकार किजिए और दिल से किजिए। और जनता ने निर्णय कर लिया है। मोदी। दिल्ली में मोदी अभी १५ या २० साल रहेंगे। आप को पटना में जितना रहना है रहिए। योग किजिए, सेहत बनाए रहिए, और आप भी रहिए १५ साल पटना में। कौन रोक रहा है? और आडवाणी से बचके रहिए। उनको प्रधान मंत्री न बनने का pain है, and misery loves company. व्यक्तिगत तौर पर आप को जिसे मानना है मानिए, लेकिन राजनीति में तो जनता को मानना होता है, जनताके मैंडेट को मानना होता है। (२) आप इंजीनियर पढ़े लोग हैं, physics के laws होते होते हैं उसी तरह politics के भी कुछ laws होते हैं। एक है: All Elections Are About The Future. जनता से बैन नहीं मांगिए, आगे क्या करिएगा वो कहिए। आगे १० साल में आप बिहार को कहाँ ले जाना चाहते हैं --- वो विज़न दिजिए।
ऐसा भी हो सकता है कि नीतिश जित जाते हैं, ५५-४५ की मार्जिन से। उसके एक साल बाद लालु झगड़ा पर उतर आते हैं और अलायन्स टुट जाती है, और बीजेपी फिर जुनियर मेम्बर बन के अलायन्स में आ जाती है। और नीतिश और सुमो मिल के फिर १० साल राज करते हैं, बिहार को एक Golden Age देते हैं, the only state in India growing at 20% per year, the state doing the best work in education and health.
बीजेपी एक बहुत बड़ा tent है और चुँकि भारत लोकतंत्र है, चीन तो नहीं कि कोइ गलत बोले तो उसको आप गोली से उदा देंगे। तो नरेंद्र मोदी को लोकतंत्र के परिधि को मानना पड़ता है। नहीं तो social issues पर मोदी और नीतिश दोनों के विचार एक जैसे हैं। Narendra Modi's strategy is to talk loudly about development to drown out the voices of the fringe elements inside his own party, and inside the RSS. नीतिश का पार्टी अलग है तो वो तो खुल के बोल सकते हैं और बोलना भी चाहिए। हम तो उनसे भी भी कड़ा बोलते हैं।
On things like land acquisition and labor mobility, and on bullet trains, Narendra Modi is right. Nitish Kumar has to come around to it. Narendra Modi is no corporate stooge. He realizes his government funds are very limited, and if he will rely only on his funds, he can not do much, he needs the private sector to do 70% of what he hopes to achieve. That is why he works so hard to be business friendly.
मोदी को दिल्ली की कुर्सी पर बिठाया ही बिहार की जनता ने। उत्तर प्रदेश तो आसान था, it was a low hanging fruit. बिहार कठिन था। मोदी को मानिए ना मानिए लेकिन बिहार की जनता को तो मानिए।
दिल्ली में नमो, पटना में नीकु + सुमो और वाशिंगटन में बिहारी बाबु सिन्हा। हीरो को एम्बेसडर बनाइए। न वाशिंगटन तो लंदन ही सही।
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