वैसे तो राम विलास पासवान ५० घाट का पानी पिए हैं। १९८९ से जो मिलीजुली सरकार का सिलसिला शुरू हुवा तो बहुत समय तक कभी भी राम विलास पासवान विपक्ष में नहीं रहे। वैसे तो लालु भी एंटी-काँग्रेस से राजनीति शुरू किए, बाद में काँग्रेस का साथ हो लिए। सिर्फ अभी तक बीजेपी को अछुत माना है। राम विलास एंटी-काँग्रेस, काँग्रेस, बीजेपी सब का साथ कर चुके हैं। मोदी आज कह रहे हैं सबका साथ सबका विकास। राम विलास तो १९८९ से कहते आए हैं, सबका साथ सबका विकास।
राम विलास ने बीजेपी का साथ छोड़ा और लालु के साथ हो लिए तो कोई ऐतराज नहीं। अब राम विलास मोदी के साथ हैं तो कहते हैं राम विलास बहुत बड़ा मौसम वैज्ञानिक हो लिए।
वैसे मैं लालु का लोहा मानता हुँ। वीपी सिंह के नंबर एक शिष्य हो के उभरे। इधर लालु उधर मुलायम ने मुस्लिम-यादव कोएलिशन बनाया। मंडल वेव था। अभी डेवलपमेंट वेव चल रहा है।
आजादी के बाद के नंबर एक रेलवे मंत्री बन के लालु ने दिखा दिया। दुनिया भर में लोग आस्चर्यचकित हो गए। बगैर कटनी छटनी किए, बगैर downsizing किए रेलवे को profitable बना दिया। पश्चिमा लोगों का माथा चकरा गया। भइ, ये क्या कर दिया लालु ने? ये तो संभव ही नहीं था। ऐसा कोई फोर्मुला हमारे किताबों में है नहीं। कौन सा किताब पढ़ते हैं लालु? हार्वर्ड से ले के सब जगह स्टडी होने लगा कि पता करो लालु ने कैसे किया? लालु ने जादु का छड़ी घुमा दिया।
ताज्जुब की बात ये है कि लालु बिहार को विकास दे नहीं पाए। फॉरवर्ड कास्ट के लोग जिनके रिश्तेदार CBI में थे उनके माध्यम से लालु को तंग करवाया। ठीक से काम करने नहीं दिया। Caste Arithmetic को ही तख्तापलट करने में लालु को ७ साल लग गए। जभी मोदी राजनीति में आए भी नहीं थे तभी लालु मुख्यमंत्री बन चुके थे।
और एक नीतिश हैं ---- मैंने कभी सोंचा नहीं था बिहार में कोइ विकास कर भी सकता है। नीतिश ने छलांग लगा दी। इन्होने ७ साल जो दिए वो अजुबे थे। उस पर भी बड़े बड़े विश्वविद्यालय में स्टडी हुवे हैं।
तो ये दोनों जादुगर एक जगह आए हैं। पलड़ा भारी होना चाहिए। मेरा वश चले तो मैं बिहार में सर्वदलीय सरकार बना डालुं। उप मुख्यमंत्री के रूप में सुशील मोदी ने भी बहुत अच्छा काम किया। तेज दिमाग के हैं, मेहनती हैं। लेकिन वो बात शायद unrealistic है, और वो भी बिहार में जहाँ लालु कहते हैं "उड़ती चिड़िया को हल्दी लगाती है बिहार की वोटर!"
लालु बिहार में विकास नहीं कर पाए लेकिन रेलवे में तो बहुत विकास किया। नीतिश विकास में किसी से कम नहीं। बहुत कहते हैं नीतिश ने गलती की, बीजेपी से नाता तोड़ लिया। लेकिन जितने तीक्ष्ण पॉलिटिशियन रहे हैं नीतिश क्या वो गलती कर सकते हैं? मैं मानने को तैयार नहीं। ऐसे लोग गलती में भी सही करते हैं।
कुछ तथ्यों पर जरा ध्यान दिजिए:
- नीतिश भारत के प्रथम प्रमुख नेता हैं जिन्होंने मोदी को भविष्य का प्रधान मंत्री बताया। और ये बात सिर्फ मुझे मालुम है कोइ विशेष सुत्र से ऐसी बात नहीं। It is a matter of public record. Youtube पर आप वीडियो देख सकते हैं। मोदी बाएं बैठे हुवे थे।
- नीतिश और लालु दोनों मंडल स्कुल के लोग हैं। Caste Pyramid दोनों को बहुत ही अखडती है। तो मोदी तो बिलकुल मंडल हैं। नेहरू पंडितों के नेहरू, और मोदी एक किस्म से देखिये तो मंडल नेहरू, अगर २० साल शासन किया तो नहीं हुवा?
- नीतिश बीजेपी से अलग नहीं हुवे होते तो NDA वालों अकेले बहुमत लाने का बीजेपी लक्ष्य ही नहीं बनाती। लेकिन नीतिश अलग हुवे तो मोदी को stretch करना पड़ा, ज्यादा ताकत लगाना पड़ा। मोदी पहले backward caste प्र म हैं। १०-१२ महिना सत्ता में रहे लोगों को क्या गिनना?
- और coalition era का खत्म होना भारत के विकास के लिए बहुत जरुरी था। एक बेबीलोन में है Hanging Gardens Of Babylon. भारत की राजनीती में १९८९ से वही चलता आ रहा था: Hanging Gardens Of Babylon. तो वो अब ख़त्म हुवा। भले बीजेपी ने किसी पार्टनर को फेंका नहीं है लेकिन सब को मालुम है बीजेपी अकेले बहुमत में हैं। तो सब अनुशासन में रहते हैं।
तो नीतिश ने गलती कहाँ किया? २००५ से २०१२ तक नीतिश ने बिहार को जो दिया, वो तो एक मिशाल है। अब बिहार को आगे १५-२०% आर्थिक वृद्धि दर की जरुरत है। चाहे जिधर से आ जाए।
मैं Land Bill और Labor Bill दोनों पर मोदी के साथ हुँ। वो भारत को First World Country बनाना चाहते हैं अपने ही कार्यकाल में। और वहां तक पहुँचने के लिए वो Land Bill और Labor Bill दोनों की जरुरत है, ऐसा मेरा मानना है। लेकिन नीतिश और लालु दोनों विरोध में हैं। ऐसा क्या? दोनों बुलेट ट्रैन का विरोध करते हैं। ऐसा क्यों?
मेरे को लगता है कोई Global Warming और Climate Change का चक्कर तो नहीं? लालु सोंचते हैं अगर भारत भी विकास कर गया तो भारत में consumption high हो जाएगी और Global Warming और स्पीड पकड़ लेगी, इसीलिए देशको Hindu Rate Of Growth पर रखना ही ठीक है।
लालु यादव: मौसम वैज्ञानिक।
मजाक अलग। Seriously, अगर बिहार में नीतिश लालु जित जाते हैं तो Land Bill और Labor Bill पर एक बार घनिभुत तर्क वितर्क की जरुरत पड़ेगी। Easy hiring and firing का जो मॉडल है वो अमेरिकी मॉडल है। और वैसे मेरे को बहुत पसंद है। लेकिन जर्मनी में वो नहीं है। वहाँ लोग एक ही कंपनी के साथ अपनी जिंदगी गुजार लेते हैं। जापान में तो उससे भी ज्यादा। तो फरक फरक मॉडल हैं। भारत को कुछ ओरिजिनालिटी दिखाना होगा और अपना ही रास्ता ढूँढना होगा। लालु ने रेलवे में जो किया, बगैर कटनी छटनी के बम्पर प्रॉफिट का रास्ता, शायद उसमें कोई मैसेज है अभी के वादविवाद के लिए। Synergy का प्रयास किया जाए, fusion का प्रयास किया जाए। Let the democratic debate go full swing. Let there be open conversations. And then seek synergies and fusions to create uniquely Indian solutions.
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