जीतन राम माझी का नीतिश से अलग हो जाना, पप्पु यादव का लालु से अलग हो जाना ------- अब तो बिहार का contest triangular हो चला और बीजेपी का पलड़ा भारी सा हो गया है। ये दोनों भले न जिते लेकिन वोट तो काटेंगे जरूर। Advantage BJP? जितन और पप्पु ने बिहार को पेंचिंदा बनाया।
बीजेपी को लेकिन इस बात का घाटा है कि वो किसी एक को मुख्य मंत्री पद के लिए सामने नहीं ला रहे हैं।
मंडल तो मोदी खुद मंडल। दोनों development men --- क्या JD(U) और BJP फिर से एक साथ नहीं आ सकते क्या?
नीतिश वैसे master strategist हैं। Caste equation में खुद मंडल man लालु को मात कर दिया दो दो बार। दलित और महादलित कर के लालु और पासवान दोनों को मात कर दिया दो दो बार।
मेरे को लगता है सुशील मोदी अभी भी नीतिश का लोहा मानते हैं। अभी भी वो शायद नंबर टु होने को तैयार हो जाए। लेकिन बात शायद बहुत आगे बढ़ चुका है। There are stakeholders in both camps who do not want a rapprochement. The fact remains that the JD(U)-BJP government in Bihar was a pretty good government.
BJP इतनी बड़ी पार्टी है कि उसमें तरह तरह के लोगों का होना स्वाभाविक है। जब RSS के कुछ लोगों ने लव जिहाद और घर वापसी की बात की तो मैंने अपना मुँह बिचकाया। तो मोदी ने भी तो अपना मुँह बिचकाया। जब मोदी गुजरात के मुख्य मंत्री थे तो उन्होंने वहां पर बहुत बखुबी से RSS को sideline कर के रख दिया था। उनका मानना था कि राजनीति करनी है तो RSS से बीजेपी में आ जाओ और चुनाव लड़ो, जित के दिखाओ, तब दिन भर राजनीति करते रहो।
जिस Hindu supremacist thinking को देख के नीतिश मुँह बिचकाते हैं, उसको देख के तो मोदी भी मुँह बिचकाते हैं। और देश में सबसे बड़ा मंडल तो मोदी ही है। और दोनों development के मामले में सबसे आगे रहे हैं।
But perhaps Nitish has waded too far. उनके ही शब्दो में "अब तो गुंजायस नहीं है। "
It is still 50-50 in Bihar, it could go either way. But Jitan and Pappu walking away weakens the chances of a Nitish comeback. नीतिश ने २०१३ में जो निर्णय लिया क्या वो hubris था? Perhaps he gambled, कि मोदी का डट के विरोध करो तो बिहार के २०% मुसलमान साथ में आ जाएंगे। लेकिन वो हुवा नहीं।
बीजेपी को लेकिन इस बात का घाटा है कि वो किसी एक को मुख्य मंत्री पद के लिए सामने नहीं ला रहे हैं।
मंडल तो मोदी खुद मंडल। दोनों development men --- क्या JD(U) और BJP फिर से एक साथ नहीं आ सकते क्या?
नीतिश वैसे master strategist हैं। Caste equation में खुद मंडल man लालु को मात कर दिया दो दो बार। दलित और महादलित कर के लालु और पासवान दोनों को मात कर दिया दो दो बार।
मेरे को लगता है सुशील मोदी अभी भी नीतिश का लोहा मानते हैं। अभी भी वो शायद नंबर टु होने को तैयार हो जाए। लेकिन बात शायद बहुत आगे बढ़ चुका है। There are stakeholders in both camps who do not want a rapprochement. The fact remains that the JD(U)-BJP government in Bihar was a pretty good government.
BJP इतनी बड़ी पार्टी है कि उसमें तरह तरह के लोगों का होना स्वाभाविक है। जब RSS के कुछ लोगों ने लव जिहाद और घर वापसी की बात की तो मैंने अपना मुँह बिचकाया। तो मोदी ने भी तो अपना मुँह बिचकाया। जब मोदी गुजरात के मुख्य मंत्री थे तो उन्होंने वहां पर बहुत बखुबी से RSS को sideline कर के रख दिया था। उनका मानना था कि राजनीति करनी है तो RSS से बीजेपी में आ जाओ और चुनाव लड़ो, जित के दिखाओ, तब दिन भर राजनीति करते रहो।
जिस Hindu supremacist thinking को देख के नीतिश मुँह बिचकाते हैं, उसको देख के तो मोदी भी मुँह बिचकाते हैं। और देश में सबसे बड़ा मंडल तो मोदी ही है। और दोनों development के मामले में सबसे आगे रहे हैं।
But perhaps Nitish has waded too far. उनके ही शब्दो में "अब तो गुंजायस नहीं है। "
It is still 50-50 in Bihar, it could go either way. But Jitan and Pappu walking away weakens the chances of a Nitish comeback. नीतिश ने २०१३ में जो निर्णय लिया क्या वो hubris था? Perhaps he gambled, कि मोदी का डट के विरोध करो तो बिहार के २०% मुसलमान साथ में आ जाएंगे। लेकिन वो हुवा नहीं।
“Na Khuda hi mila, na visaal-e-sanam/Na udhar kay rahay, na idhar kay rahe (I found neither faith, nor union with my lover/And now I belong neither there nor here).”
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