बिहार के तरह मोदी और अमित साह को दौड़ाएंगे तो हार जायेंगे। शादी में दुल्हा दुलहन की जरुरत होती है। उसी तरह विधान सभा चुनाव में मुख मंत्री कैंडिडेट की जरुरत होती है। बिहार में लग रहा था लड़की के माँ बाप तो है लेकिन लड़की का कोई अता पता नहीं है। चुनाव हो मुख मंत्री का और कोई कैंडिडेट का ना होना। सामुहिक नेतृत्व करो। लेकिन फिर एक तो चाहिए। राज्य का पार्टी प्रेजिडेंट दलित हो बीजेपी का और कैंडिडेट स्मृति तो अच्छा निर्णय है। जो होगा होगा। वैसे मायावती और अखिलेश भी कमजोर नहीं दिख रहे। माया और मजलिस एक जगह आ जाते हैं तो भारी पड़ेंगे।