Thursday, November 19, 2015

America Does Not Want Another Vietnam

Português do Brasil: O presidente Lula recebe ...
Português do Brasil: O presidente Lula recebe o presidente da República Árabe Síria, Bashar al-Assad, no Itamaraty. (Photo credit: Wikipedia)
If the War On Terror is like the Cold War, which I have maintained it is since 9/11, will this war also see a Vietnam? ISIS sure wants one. Their central mission is to get enemy troops on the ground. But giving in would be a mistake. And that is where I find myself agreeing with President Obama. Troops on the ground are always a tricky operation, even when fighting a traditional state.

But there is no wishing ISIS away. And it is not a force that can be contained. They have to engage in far flung acts of terror to stay alive as an organization. They can not stay in their territory. If they did, they would die out.

Vietnam was an open-ended ground operation that ended very very badly and lasted way too long. Luckily, there are better options available. But the goal does have to be to deny ISIS territory. Working with Russia for an Assad-less Syrian transition might be one way. Smart, sustained aerial strikes might be another.

But this is a global fight. Better intelligence sharing among the democracies of the world would go a long way.

Wednesday, November 18, 2015

बिहार में हुवा क्या?

नीतिश जिते। वही हुवा। नीतिश को बिहार ने १० साल के लिए मैंडेट दिया है होलसेल में।

नीतीश का मुकाबला खुद अपने आप से है। वो बिहार को २०% ग्रोथ रेट दे सकते हैं या नहीं। मुकाबला वो है। 

२०१९ में मोदी बिहार फिर से स्वीप करेंगे। ४० सीट है बिहार से। २०-२० कर के नीतिश और लालु लड़ते हैं और नीतिश १००% स्कोर करते हैं, तो हुवा २० सीट। २० MP ले के कोइ प्राइम मिनिस्टर बनता है? ये नेपाल है?

वैसे भी बिहार अगर देश होता तो दुनिया का १२ हवा बड़ा देश होता। फ्रांस और जर्मनी का प्रेसिडेन्ट या चांसलर से तो नीतिश आगे हुवे। बिहार के सामने पाकिस्तान क्या है? कुछ नहीं। पाकिस्तान में न तो इकनोमिक ग्रोथ रेट है न कुछ। 

लालु का कभी कभी भाषण सुनो तो लगता है कह रहे हैं, मुसलमान भाइयों, मेरे को वोट दो, सुरक्षित रहो, बीजेपी को वोट दो तो मारे जाओगे। ये कैसी बात हुइ? 

नेपाल में एक पॉलिटिशियन हुवा करता था। नाम था मिर्जा दिल साद वेग। वो मंच पर चढ़ जाता था। कहता था लोगों को: "वोट दो नहीं तो बस्ती जला देंगे!" (बॉलीवुड इन्फ्लुएंस रहा होगा)

लोग सोंचते थे, सड़क पिचिंग नहीं हुई तो कोइ बात नहीं, स्कुलमें मास्टर न आए कोइ बात नहीं, गाओं में बिजली पानी नपहुँचे तो क्या हुवा अभी तक उसके बगैर काम चला लिए तो आगे भी चला लेंगे। लेकिन बस्ती जल गयी तो दिक्कत है। तो मिर्जा ने कभी इलेक्शन हारा ही नहीं। पार्टी बदला एक दो बार फिर भी नहीं हारा। 

एक बार मेरे को मिल गया। मैं अपने एक मन पसंद नेता के ऑफिस में बैठा हुवा था अकेले। कहाँ से न कहाँ से आ पहुँचे मिर्जा। मैंने हाई हेलो कह दिया। वैसे कहाँ मैं सीता नगरी से और वो बुद्ध नगरी से। फिर भी सोंचा हाई हेलो बोल दो पाँच सेकंड में और अपनी बस्ती बचा लो। बचा लिया। 

इसु होना चाहिए कि देश में कानुन है कि नहीं। और जो कानुन है वो अप्लाई हो रहा है कि नहीं? जैसे कि दादरी। हत्या का घटना है। एक तो मर्डर है। जो कि अपराध है। और उपर से hate crime भी है। दोनों गैर कानुनी होना चाहिए। नहीं है तो वैसा कानुन बनाओ। और उसको अप्लाई करना तो पुलिस का काम है। मुख मंत्री या प्रधान मंत्री का नहीं। हालाँकि हाई प्रोफाइल केस है। देश की राजनीति हिल गई। हिलना जरुरी भी है। मुसलमान बीफ नहीं खायेगा तो क्या खायेगा? खरगोश? आप अपना धर्म औरो पर थोपने का काम मत करो, प्रयास ही मत करो। ये मानव अधिकार का मामिला है। Freedom of Religion

अपने धर्म के प्रति गर्व करो। लेकिन और किसी के धर्म के बारे में गलत बोल्ने की क्या जरुरत है?

दूसरा मैंने न्यूज़ में पढ़ा चेहरे पर कालिख पोता गया। तो मैंने मन में कहा मोदी उस पर कमेंट करते हैं तो प्रमाणित होगा वो अपना काम नहीं कर रहे हैं। इतना बड़ा देश चलाना है, और आप चेहरे पर कालिख पोते जाने के घटना पर कमेंट करते हो, आप के पास उतना समय है तो अपने पद से राजीनामा दो और दिन भर बैठ के, हात पर हात रख के क्रिकेट कमेंट्री करो। 

मेरे कहने का मतलब भारत का प्रधान मंत्री अगर अपना काम कर रहा है तो उसके पास उतना समय होना ही नहीं चाहिए की वो प्रत्येक घटना पर कमेंट मारता रहे। चेहरे पर कालिख गलत बात है। लेकिन प्राइम मिनिस्टर को malnutrition के मुद्दे पर समय बिताना चाहिए। 

दल से बड़ा देश मोदीजी। तो दिजिए बिहार को दिल खोल के मदत।