Wednesday, August 28, 2019

Biden's Resilience: Health Care?



Joe Biden has been surprisingly resilient in the polls over the months. That might explain the senior citizen grip on the poll outcome. Young people don't vote. The seniors are the greatest beneficiary of the US federal government. They want to retain the gift that keeps giving.

I think there is unaddressed anxiety about Medicare For All. When Bernie and Warren say Medicare For All, they don't connect the dots. You describe a finished product. You don't explain how it will work and if it will work. You don't explain how you will go from the current arrangement to Medicare For All. What will happen during the transition?

People associate Biden with Obamacare, which by now is status quo. They like the status quo. That is how they get health insurance. Instead of thinking Medicare For All will take health insurance to everyone, most people think, Medicare For All means I will lose mine.

The political work has not been done. The explaining has not been done. So far Medicare For All has been a slogan, not a fleshed-out program.

I believe that explains Biden's resilient numbers in the polls. Biden does not shake the boat too much. You get one old white guy to replace another old white guy. If old white guy is your thing. For a lot of seniors, that seems to be make or break. There are seniors who say they "suffered" while Obama was president. The suffering came from merely having to watch him on TV. Not having an old white guy in the Oval Office caused discomfort. Or at least that seems to be the suggestion.

That "suffering" is a strange kind of suffering, if you ask me. Some call it white nationalism. By now white nationalist terrorism is officially in the Oxford Dictionary.

Whether America is ready to jump from Trump/Biden to an Andrew Yang is hard to tell right now. It is amazing how young people don't vote.



How Much Of A Threat Is Elizabeth Warren To Joe Biden’s Front-Runner Status? the pollster found him, at 19 percent support, in a three-way tie for first with Sens. Elizabeth Warren and Bernie Sanders, both at 20 percent. ..... with Biden on the decline and Warren and Sanders on the upswing.



Kashmir: Restore Normalcy





Blatant Racial Bias Against Andrew Yang In The Mainstream Media

And this is supposed to be the "liberal" media.

Could Andrew Yang Become President?
Andrew Yang Clocking At 4% And Fifth Position










Tuesday, August 27, 2019

Andrew Yang Clocking At 4% And Fifth Position



If you go back into this blog's archives, I have consistently talked of Andrew Yang as the Secretary Of Labor. But now I have started to talk of him as a possible president. For a guy who has never been Mayor, Senator, Governor, Billionaire, for him to clock at 4% is mind-blowing. The dude has gone viral. I don't think anything like this has happened in a US presidential campaign.

The guy has the greatest momentum. He is polling at 4% nationally, he is in the fifth position. But measured by Google Search he is in the second position on his way to first.

It is amazing to me how the UBI idea falls into the blind spot of even the "socialists." Because the UBI idea truly is post-capitalism, post-socialism.

Andrew Yang represents a generational change. He also represents the 21st century. He represents the knowledge economy.

Two Possible Kashmir Fallouts

After the scrapping of Article 370, two developments can be expected.

One, the parties that used to take turns ruling Kashmir can be expected to go to the Supreme Court to challenge the decision.

Two, some of the terrorist organizations inside Pakistan, with full support from the army and the ISI, might engineer an attack inside India, the larger the better. It is for the Indian state to foil any such move. At least there is a forewarning. This is going to be politically expensive for Pakistan. It is no longer denying that it backs terrorist organizations. It is now hinting it will instigate attacks inside India through terrorist organizations.

"We will go to any extent," said Imran Khan. What is that supposed to mean?

It is highly possible the Supreme Court will side with the Modi government decision. But such a move by Abdullah and/or Mufti would be a welcome venting. Let out the steam. Media coverage of the legal move should allow for the peaceful airing of views from both sides. That would be welcome.

The possible terrorist attack has to be prevented. That is a serious intelligence and hardware challenge. The traditional war has been stalemated by nuclear weapons, but the asymmetric war goes on.

इमरान का काश्मीर समस्या पाकिस्तान की आतंरिक राजनीति जैसी लगने लगी है



पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान साहब काश्मीर मसले को चीन के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र संघ को ले गए। धारा ३७० को सेक्युरिटी कॉउन्सिल ने भारतका आतंरिक मामला घोषित कर दिया। उन्होंने गुजारिश की कि दुनिया भर के मुसलमान कश्मीर के मुद्दे पर एक हो जाओ। तो गल्फ देश एक के बाद एक मोदी को अवार्ड बगैरह दिए जा रहे हैं।

भारत लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल के पार कोइ बदमाशी न कर सकता है न करने दे सकता है। मीडिया में सारा काश्मीर हमारा है कहना अलग बात है। दोनों कह रहे हैं। मसला ये है कि भारत के काश्मीर के अंदर स्थिति सामान्य होते हैं कि नहीं। कर्फ्यू बगैरह सब हटाने के बाद और फ़ोन इंटरनेट सब चालु होने के बाद स्थिति सामान्य होती है कि नहीं। लोकतंत्र बहाल होती है कि नहीं। चुनाव होती है कि नहीं। तीव्र गति से विकास होती है कि नहीं। मसला ये है। स्थिति सामान्य हो गयी। चुनाव हो गयी तो बात रफा दफा हो जाएगा।

इमरान जब से प्रधान मंत्री बने पाकिस्तान के तभी से कहे पर कहे जा रहे थे, बात करो, बात करो। बिल्ली की मुँह गर्म दुध से पक गयी थी। मोदी नवाज से बात ही तो कर रहे थे। जितनी बार बात करते पाकिस्तानी फौजी और ख़ुफ़िया एजेंसी कोई न कोई अटैक फरमा बैठते। ताकि बातचीत ख़तम हो जाए। तो मोदी को लगा होगा पाकिस्तानी फौजी और ख़ुफ़िया एजेंसी इमरान खान के पकड़ में है तो नहीं। वो पैरेलल स्टेट चलाते हैं। तो इमरान से बात करो और वो फिर से कहीं न कहीं अटैक कर देंगे। अटैक छोटी ही हो पुरे देश गर्मा जाती है। तो कौन पंगा लेगा भाइ?

मोदी वार्ता नहीं युद्ध चाहते हैं ऐसी बात नहीं है। युद्ध तो चाह कर भी संभव नहीं है। युद्ध यानि कि आत्महत्या। सुसाइड। दोनों के लिए।

मैंने धारा ३७० सुनी थी लेकिन मेरे को मालुम नहीं था कि बाँकी भारत के लोग काश्मीर में जमीन खरीद नहीं सकते हैं। संघीयता का कोइ एक फोर्मुला शायद नहीं होता। धारा ३७० का हटना गलत या सही ये मेरे को नहीं कहना है। मैं सुनना चाहता हुँ कि काश्मीर के लोग इस बारे में क्या कहते हैं। अगर वो सामान्य स्थिति और चुनाव की ओर जाते हैं तो मैं कहुँगा निर्णय गलत नहीं रहा। जल्द से जल्द चुनाव कराओ।

मैं इस ब्लॉग पर महिनों सालों से कहता आया हुँ काश्मीर समस्या का समाधान यही है कि भारत भी और पाकिस्तान भी पुरे काश्मीर पर अपना अपना क्लेम बंद करो और लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल को परमानेंट बॉर्डर घोषित करो। और व्यापार पर फोकस करो। अभी जो धरा ३७० हटी है वो उसी फोर्मुला के भितर जैसी दिखती है। लेकिन पाकिस्तान शासित काश्मीर और अक्साइ चीन पर क्लेम करना बंद करो।

तो अब कर्फ्यू बगैरह हटाओ ताकि जनजीवन सामान्य बन सके। लोग चलफिर सके। बच्चे स्कुल जा सके। लोग बाजार जा सके। काम पर जा सके। चुनाव की तयारी करो। तीव्र गति से विकास कर के दिखाओ। लोगों को नौकरिया मिले ऐसी वातावरण बनाओ। ये सब होमवर्क है।

इमरान खान मॉनिटरिंग करें। कि धारा ३७० हटाने के बाद वहाँ तानाशाही नहीं लाद दी गयी हो। कर्फ्यू बगैरह हटाओ। जनजीवन सामान्य बनाओ। लोगो को बोलने दो।

इमरान भारत शासित काश्मीर पर क्लेम करना छोड़ दें। वो पाकिस्तान शासित कश्मीर पर फोकस करें। वहाँ स्थिति सामान्य है कि नहीं। वहाँ स्थानीय बगैरह चुनाव हो रहे हैं कि नहीं। विकास हो रहा है कि नहीं। चीन जो रोड बना रहा है पाकिस्तानी कश्मीर होते हुवे अरेबियन सागर तक वो तो अच्छी बात है। सिर्फ लोन किस दर पर है वो विचार कर लेनी चाहिए। ज्यादा है तो इमरान फिर से निगोशिएट करें और लोन रेट कम करवा लें जैसे मलेशिया के प्रधना मंत्री ने करवाया। वो रोड बन जाती है तो फिर पाकिस्तानी अर्थतंत्र का कायापलट हो जाएगा।

पाकिस्तान में लोकतंत्र है नहीं। सिर्फ चुनाव होने से लोकतंत्र नहीं होता। पाकिस्तानी सेना पर ख़ुफ़िया एजेंसी पर पाकिस्तान के प्रधान मंत्री का पुर्ण नियंत्रण हो जाए तब जा के पाकिस्तान को लोकतंत्र माना जाएगा। अभी तो पाकिस्तान एक वैसा तांगा है जिनके तीन घोड़े तीन ओर घींच रहे हो।

इमरान का काश्मीर समस्या पाकिस्तान की आतंरिक राजनीति जैसी लगने लगी है। पाकिस्तान की अर्थतंत्र ऐसी नाजुक अवस्था से गुजर रही है। काफी कमजोर पड़ी है। इमरान को सख्त से सख्त निर्णय लेने हैं। कुछ ठोस कदम उठाने हैं। टैक्स का दायरा बढ़ाना है। पाकिस्तान के जो आमिर हैं वो टैक्स भरते ही नहीं। देशको कमजोर कर के रखे हुवे हैं।

पाकिस्तान की आतंरिक राजनीति से जुझना कठिन काम है और वो इमरान खान को करना है। भारत से जुझना तो आसान काम है। मोदी को खरी खोटी सुना दो। लोग तालियाँ पिटते हैं। इमरान को चाहिए अपने अर्थतंत्र पर फोकस करें।



پاکستان کے وزیر اعظم عمران خان صاحب چین کی حمایت سے مسئلہ کشمیر کو اقوام متحدہ میں لے گئے۔ سیکشن 360 نے داخلی کونسل کو ہندوستان کا داخلی معاملہ قرار دیا۔ انہوں نے گذارش کی کہ پوری دنیا کے مسلمان مسئلہ کشمیر پر متحد ہوجائیں۔ تو خلیجی ممالک کو ایک کے بعد ایک مودی سے نوازا جارہا ہے۔

بھارت لائن آف کنٹرول کے پار کسی قسم کی غنڈہ گردی کی اجازت نہیں دے سکتا ہے اور نہیں دے گا۔ یہ کہنا الگ بات ہے کہ میڈیا میں پورا کشمیر ہمارا ہے۔ دونوں کہہ رہے ہیں۔ مسئلہ یہ ہے کہ ہندوستان کے کشمیر کے اندر صورتحال نارمل ہے یا نہیں۔ چاہے کرفیو کو ہٹانے کے بعد اور فون انٹرنیٹ کے بعد بھی سب کچھ چل رہا ہے۔ جمہوریت بحال ہوتی ہے یا نہیں۔ چاہے انتخاب کیا جائے یا نہیں۔ چاہے تیز رفتار ترقی ہو یا نہ ہو۔ یہ مسئلہ ہے۔ صورتحال معمول بن گئی۔ اگر انتخابات ہوتے ہیں تو معاملہ ختم ہوجائے گا۔

جب سے عمران پاکستان کے وزیر اعظم بنے ہیں تب سے وہ کہتے رہے ہیں ، بات کریں ، بات کریں۔ بلی کا منہ گرم دودھ کے ساتھ پکڑا گیا تھا۔ مودی صرف نواز سے گفتگو کر رہے تھے۔ جب بھی پاکستانی فوج اور خفیہ ایجنسی بات کرتی ، وہ ایک ہی حملہ پر بیٹھ جاتے۔ تاکہ گفتگو ختم ہوجائے۔ تو مودی کو یہ محسوس ہوگا کہ پاکستانی فوج اور خفیہ ایجنسی عمران خان کی گرفت میں ہے یا نہیں۔ وہ متوازی ریاست چلاتا ہے۔ تو عمران سے بات کریں اور وہ پھر کہیں حملہ کرے گا۔ جب حملہ چھوٹا ہوتا ہے تو ، پورا ملک گرم ہوتا ہے۔ تو بھائی کون گڑبڑ کرے گا؟

مودی بات چیت نہیں چاہتے لیکن جنگ ایسا نہیں ہے۔ جنگ چاہے بغیر ممکن نہیں۔ جنگ کا مطلب ہے خود کشی۔ خودکشی۔ دونوں کے لئے۔

میں نے دفعہ heard 360. سنا تھا لیکن میں نہیں جانتا تھا کہ ہندوستان کے لوگ کشمیر میں زمین نہیں خرید سکتے ہیں۔ شاید فیڈرل ازم کا کوئی فارمولا موجود نہیں ہے۔ مجھے یہ کہنے کی ضرورت نہیں ہے کہ دفعہ 370 کو ختم کرنا غلط ہے یا صحیح ہے۔ میں یہ سننا چاہتا ہوں کہ کشمیری عوام اس بارے میں کیا کہتے ہیں۔ اگر وہ عام صورتحال اور انتخابات میں جاتے ہیں تو میں یہ کہوں گا کہ فیصلہ غلط نہیں تھا۔ جتنی جلدی ممکن ہو انتخابات کروائیں۔

میں اس بلاگ پر کئی مہینوں سے کہہ رہا ہوں کہ مسئلہ کشمیر کا حل یہ ہے کہ بھارت اور پاکستان کو بھی پورے کشمیر پر اپنا دعوی بند کرنا چاہئے اور لائن آف کنٹرول کو مستقل بارڈر قرار دینا چاہئے۔ اور کاروبار پر توجہ دیں۔ اب جو زمین ہٹا دی گئی ہے وہی اسی فارمولے کے خچروں کی طرح دکھائی دیتی ہے۔ لیکن پاکستان کے زیر اقتدار کشمیر اور اکیس Kashmir چین کا دعوی کرنا چھوڑ دیتے ہیں۔

لہذا اب کرفیو کو ہٹا دیں تاکہ زندگی معمول بن سکے۔ لوگ چل سکتے تھے۔ بچے اسکول جاسکتے ہیں۔ لوگ بازار جاسکتے تھے۔ کام پر جانا الیکشن کی تیاری کرو۔ تیز اور ترقی دکھائیں۔ ایسا ماحول پیدا کریں جس میں لوگوں کو روزگار ملے۔ یہ سب ہوم ورک ہے۔

عمران خان مانیٹرنگ۔ یہ کہ دفعہ 0 370 کو ختم کرنے کے بعد وہاں بھی آمریت مسلط نہیں کی گئی۔ کرفیو کو ہٹا دیں۔ زندگی کو معمول بنائیں۔ لوگوں کو بولنے دو۔

عمران کو بھارت کے زیر اقتدار کشمیر کا دعوی کرنا چھوڑ دینا چاہئے۔ انہیں پاکستان کے زیر اقتدار کشمیر پر توجہ دینی چاہئے۔ وہاں صورتحال عام ہے یا نہیں۔ انتخابات کے بغیر بلدیاتی انتخابات ہوتے ہیں یا نہیں۔ ترقی ہو رہی ہے یا نہیں۔ چین پاکستان کے بحیرہ عرب تک جو سڑک بنا رہا ہے وہ اچھی چیز ہے۔ صرف اس شرح پر ہی غور کیا جانا چاہئے جس پر قرض لیا گیا ہے۔ اگر زیادہ ہے تو ، عمران دوبارہ بات چیت کریں اور ملائشیا کے وزیر اعظم کی طرح قرض کی شرح کم کریں۔ اگر یہ سڑک بن جاتی ہے تو پھر پاکستانی معیشت بدل جائے گی۔

پاکستان میں جمہوریت نہیں ہے۔ جمہوریت صرف انتخابات کرانے سے نہیں ہوتی۔ اگر پاکستانی فوج کا خفیہ ایجنسی پر وزیر اعظم پاکستان کا مکمل کنٹرول ہے تو پاکستان کو جمہوریت سمجھا جائے گا۔ ابھی پاکستان ایک ٹنگا ہے جس کے تین گھوڑے تین طرف سے سونگ رہے ہیں۔

عمران کا مسئلہ پاکستان کی داخلی سیاست کی طرح نظر آنے لگا ہے۔ پاکستان کی معیشت اس قدر نازک صورتحال سے گذر رہی ہے۔ وہ بہت کمزور ہے۔ عمران کو سخت ترین فیصلے لینے ہیں۔ کچھ ٹھوس اقدامات کرنے ہیں۔ ٹیکس کے دائرہ کار میں اضافہ کرنا ہوگا۔ پاکستان کا امیر ٹیکس ادا نہیں کرتا ہے۔ ہم نے ملک کو کمزور رکھا ہے۔

پاکستان کی داخلی سیاست کا مقابلہ کرنا مشکل ہے اور یہی کام عمران خان کو کرنا ہے۔ بھارت سے نمٹنا آسان ہے۔ مودی سے کہو کہ وہ بہت ایماندار ہو۔ لوگوں نے تالیاں بجا دیں۔ عمران کو اپنی معیشت پر توجہ دینے کی ضرورت ہے۔

(Translated from Hindi to Urdu with Google Translate)





Why Hong Kong Needs A Directly Elected Chief Executive

Carrie Lam has zero incentive to respond to the street protests. 13 weeks of protests and she is still saying the extradition bill can not be withdrawn. She answers to Beijing, not to Hong Kong citizens. 

Sunday, August 25, 2019

Ajit Doval, John Bolton

The Hong Kong Protest Lacks Political Sophistication

The Hong Kong protests are the most heartwarming political action on the planet right now, with Andrew Yang surging in the US a close second. It is good to see people care about an issue enough to shut a city down.

But what is happening in Hong Kong is a protest movement. It is not yet a political movement. If success is getting people out into the streets, this has been success 13 weeks in a row. But getting people out into the streets is not the end goal, can not be.

Everybody who is out in the streets should come together in one political organization and should elect itself leaders at various levels, with a central committee, and ultimately one elected leader. It should put out its five key demands and set a deadline. Unless Beijing meets its five key demands within a set time period, the goal of full political independence should be announced. That is the only political threat Beijing will respond to. As for protests, Beijing simply plans to wait it out. I would not be surprised if the logjam continues even after 23 weeks of protests.

One country, two systems is not a bad idea. But Beijing has been eroding the rights of Hong Kong citizens. The key demands right now keep Hong Kong within one country, two systems. But it is telling that Beijing has not accepted even the most important demand. 13 weeks of unprecedented protests and Beijing still has not scrapped the extradition bill. As good as dead is not dead. There is a proper procedure to withdraw a bill.

The Chinese army's saber-rattling in Shenzen is not a threat to snuff out the protests. It is a threat to invade should Hong Kong declare independence. And to that end Hong Kong needs to seek out global allies. It needs to ask for solidarity in all major cities of the world.





Friday, August 23, 2019

Black Panther for Women (Twitter Marketing)






















The Insanity Of The US-China Trade War



Is this what the US-China trade war feels like? And now we have a meaningless Trump order. You have to ask, when is Trump going to get a tattoo!