Thursday, July 04, 2024

युग परिवर्तन के लिए विश्व युद्ध का होना जरूरी नहीं



युग परिवर्तन के लिए विश्व युद्ध का होना जरूरी नहीं
जुलाई ४, २०२४

विश्व में टेंशन उच्च स्तर पर है। और बढ़ती ही चली जा रही है। इस अवस्था में कोइ छोटा खिलाडी ही कोइ हरकत कर दे तो बात बहुत जल्द बहुत बिगड़ जाएगी। इजराइल में कुछ वैसा ही हुवा। कुछ बिद्वान लोग तो कह रहे हैं कि विश्व युद्ध शुरू हो चुका है। द्वितीय विश्व युद्ध भी तो ऐसे ही शुरू हुवा था। वो तो ख़त्म होने के बाद लोगो ने कहा शुरू कब हुवा। लेकिन जब शुरू हुवा तभी तो लोगो को नहीं लगा कि ये विश्व युद्ध है।

ये युद्ध अनावश्यक है। लेकिन रावण और दुर्योधन को कौन समझाए? १०-१५ रावण एक दुसरे से युद्ध करने को उतावले हैं।

दुनिया के बड़े बड़े देश एक दुसरे को कुछ ही घंटो में पाषाण युग (Stone Age) में धकेल देने की ताकत रखते हैं। ऐसे ऐसे हतियार रखे हुवे हैं कि अगर युद्ध हुवा तो कोइ जितेगा नहीं। फिर भी टेंशन घटाने के जगह बढ़ाने पर उतावले हैं।

रूस और अमरिका एक दुसरे के राजधानी के निकटतम जगहों पर आणविक अस्त्र इकठ्ठा कर लिए हैं लेकिन बातचीत तक नहीं हो रही। ऐसी नौबत आ सकती है कि सिर्फ एक दुसरे को डराने के बजाए फर्स्ट स्ट्राइक की सोंच बन जाए किसी एक तरफ। मरता क्या न करता वाली नौबत आ सकती है।

लेकिन जो देश इन देशों में से नहीं हैं वे भी तो बेफिक्र नजर आ रहे हैं। युक्रेन युद्ध शुरू हुवा तो सारी दुनिया को असर पड़ी। गेहुँ का भाव आसमान छुने लगा बहुत देशों में। गेहुँ की बात छोड़िए। अगर बात बिगड़ी तो गेहुँ के जगह पानी का भाव आसमान छुने लगेगा। और वो बात अफ्रिका में नहीं अमरिका में हो सकती है।

युद्ध अगर न भी हो तो ग्लोबल वार्मिंग जिसके लिए अमरिका, युरोप, जापान और चीन जिम्मेदार हैं उसके कारण हिमालय पर्वत के ढेर सारे हिमनदी पिगल कर दक्षिण एशिया में पानी के लिए हाहाकार हो सकती है। और ये दुर भविष्य की बात नहीं। प्रत्येक साल गर्मीं में तापमान के रेकॉर्ड ब्रेक हो रहे हैं।

कोरोना महामारी में न्यु यॉर्क से लोग भागे थे और दशों मील, पचासों मील दुर जहाँ जहाँ कोइ किराए का जगह मिला सब ले लिए थे। लेकिन एक वैसी अवस्था की कल्पना किजिए जब रूस और अमरिका आमने सामने हो गए हो तो रूस का प्रथम प्रयास रहेगा मैनहट्टन पर आणविक आक्रमण। क्योंकि उसका उद्देश्य होगा देश को प्यारलाइज़ करने का सबसे आसान तरिका। उस अवस्था में लोग भागेंगे तो फिर किराए का घर नहीं तलाश करेंगे। लॉ एंड आर्डर बिलकुल ब्रेकडाउन हो चुकी होगी। जबरजस्ती घरों में घुसेंगे। जो बचे वो।

युक्रेन युद्ध शुरू होने के कुछ ही महिनों बाद न्यु यॉर्क शहर में आणविक आक्रमण हो गया तो क्या करे कह के महानगर की स्थानीय सरकार टीवी पर बिज्ञापन देने लग गयी थी। यानि की उस संभावना की बात मैं नहीं कर रहा। पिछले साल ही न्यु यॉर्क की स्थानीय सरकार कर चुकी थी।

भारत एक उभरता हुवा शक्ति राष्ट्र है। तटस्थ है। लेकिन सक्रिय तो भारत भी नहीं। अभी जो जगह व्हाइट हाउस का है पाँच हजार साल पहले धृतराष्ट्र का दरबार वही हुवा करता था। विश्व का शक्ति केंद्र। स्पष्ट संकेत है जिस तरह जापान में सुर्योदय से सुर्यास्त और फिर सुर्योदय होती है उसी तरह दिल्ली फिर विश्व की शक्ति केन्द्र बनने जा रही। युग परिवर्तन होगी। सत्य युग फिर से शुरुवात होनी है। कुछ ही दशक की बात है। वो नयी सत्य युग सारे विश्व के लिए होगी।

उस सत्य युग तक पहुँचने का सबसे अच्छा रास्ता है बगैर युद्ध का। संवाद का रास्ता। आमने सामने बैठ के विचारविमर्श करने का रास्ता। लेकिन संवादहीनता सिर्फ युक्रेन युद्ध को लेकर नहीं। संवादहीनता सिर्फ गाज़ा युद्ध को लेकर नहीं। भारतवर्ष भी तो उसी संवादहीनता की स्थिति में है। भगवान कल्कि को लेकर। भगवान राम की मंदिर तो बना लेते है। और बननी चाहिए। अच्छी बात है। भगवान राम सिर्फ भारत के नहीं, समस्त पृथ्वी के हैं, सारे ब्रह्माण्ड के मालिक हैं। लेकिन भगवान कल्कि धरती पर हैं, आ चुके हैं, उस बात की परवाह नहीं। जो युद्ध के लिए व्यग्र हैं वे भी और जो तटस्थ बैठे हैं वे भी, दोनों विश्व युद्ध का मार्ग ही तो प्रशस्त कर रहे हैं।



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